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सूर्य ग्रहण 2019 : 5 जनवरी को साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानिए इसका ज्योतिष महत्व और पौराणिक कथा

वर्ष 2019 का आगमन इस बार कन्या लग्न, तुला राशि व स्वाति नक्षत्र में हो रहा है, जो कई मामलों में बेहद लाभप्रद रहने वाला है। देखा जाए तो लग्नेश बुध देव गुरु बृहस्पति के साथ पराक्रम भाव में विराजमान...

सूर्य ग्रहण 2019 : 5 जनवरी को साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानिए इसका ज्योतिष महत्व और पौराणिक कथा
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्ली Fri, 04 Jan 2019 08:43 PM
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वर्ष 2019 का आगमन इस बार कन्या लग्न, तुला राशि व स्वाति नक्षत्र में हो रहा है, जो कई मामलों में बेहद लाभप्रद रहने वाला है। देखा जाए तो लग्नेश बुध देव गुरु बृहस्पति के साथ पराक्रम भाव में विराजमान होकर भाग्य भाव को देख रहा है। वहीं धन भाव पर शुक्र-चंद्रमा की युति एक आर्थिक संपन्नता का योग बना रही है।

ग्रहण और शनि अमावस्या का योग
साल का पहला ग्रहण शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसका महत्व काफी बढ़ गया है। सूर्य ग्रहण भले ही भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन इस दिन शनैश्चरी अमावस्या होने की वजह से यह दिन बेहद खास होगा। शनैश्चरी अमावस्या के दिन ग्रहण होने के कारण इस दिन दान, जप-पाठ, मंत्र एवं स्तोत्र-पाठ और स्नान का महत्व बढ़ जाता है।

सूर्य ग्रहण पर स्नान दान का है विशेष महत्व
धार्मिक मान्यता की मानें तो सूर्यग्रहण में गंगा स्नान से सौ अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के बाद स्नान और दान करना भी बहुत अच्छा रहता है। इसलिए गेहूं, धान, चना, मसूर दाल, गुड़, अरवा चावल, सफेद-गुलाबी वस्त्र, चूड़ा, चीनी, चांदी-स्टील की कटोरी में खीर दान से खास लाभ मिलेगा।

सूर्य ग्रहण की पौराणिक कथा
वेद-पुराणों में सूर्य और चन्द्र ग्रहण का कारण राहु-केतु को बताया गया है। पौराणिक कथा के अनुसार जब देवताओं को अमृत पान तथा दैत्यों को वारुणी पान कराया जा रहा था तब इस बात की खबर दैत्य राहु को हुआ। राहु छुपकर देवता की पंक्ति में जाकर बैठ गया परन्तु अमृत पान के पश्चात इस बात को सूर्य एवम चंद्र ने उजागर कर दिया। इस बात से भगवान विष्णु काफी नाराज हो गए और उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सर धड़ से अलग कर दिया। अमृत पान करने की वजह से राहु की मृत्यु नहीं हुई और वह दो हिस्सों में विभाजित हो गया। 

विशेष फलदायी होती है ग्रहण के दौरान राहू-केतु की पूजा
ब्रह्मा जी ने राहु के दोनों हिस्सों में से एक राहु को चन्द्रमा छाया में जबकि केतु को पृथ्वी की छाया में स्थान दिया। अतः ग्रहण के समय राहु-केतु सूर्य और चंद्रमा के करीब रहते हैं। इसलिए सूर्य या चन्द्र ग्रहण के समय राहु-केतु की पूजा करना मंगल प्रदान करने वाला है। राहु-केतु केवल सूर्य और चन्द्र ग्रहण के समय दिखाई देता है।

solar eclipse

सूर्य ग्रहण के दौरान न करें भोजन, दूषित हो जाता है खाना
सूर्य ग्रहण के समय भोजन ग्रहण नही करना चाहिए, क्योंकि सूर्य ग्रहण के समय वातावरण में कीटाणु बढ़ जाते हैं। ये कीटाणु खाद्य पदार्थ, जल को दूषित कर देते हैं। इसलिए कहा जाता है कि ग्रहण के समय खाने की चीजों और पानी को ढक कर रखना चाहिए। 

सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बच्चे, बीमार और गर्भवति महिलाएं एक प्रहर पूर्व भोजन कर सकते हैं। ग्रहण के दिन फूल, फल और लकड़ीं नहीं तोड़ना चाहिए। इस समय ताला खोलना, सोना, भोजन करना आदि की भी मनाही है। ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, तथा गरीबों को वस्त्र दान करना चाहिए। देवी भागवत के अनुसार ग्रहण के समय जमीन नहीं खोदना चाहिए।

बढ़ जाता है इन बीमारियों का प्रकोप
सूर्य ग्रहण के समय जठरागिन, नेत्र तथा पित्त जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ता है। गर्भवती स्त्री को सूर्य या चन्द्र ग्रहण का दीदार नही करना चाहिए। इससे ग्रभपत की आशंका बढ़ जाती है। इस दिन स्त्री को चाकू या कैची का प्रयोग नहीं करना चाहिए। 

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य व सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

 

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