करवा चौथ व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस साल यह 4 नवंबर (बुधवार) को किया जाएगा। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना करते हुए निर्जला रखती हैं। इस दिन व्रती स्त्रियां पूरे सोलह श्रृंगार करके विधि-विधान से पूजा करती हैं। पूजा के लिए कलश सजाना और पूजा की थाली इस दिन के महत्व को और भी बढ़ा देते हैं।
देश के कुछ हिस्सों में करवा चौथ व्रत पूजा की थाली को 'बाया' भी कहते हैं, जिसमें सिंदूर, रोली, जल और सूखे मेवे भी रहते हैं। इसके साथ ही मिट्टी के दीए भी पूजा की थाली में होना जरूरी होते हैं।
करवा चौथ व्रत में प्रयोग होने वाली सामग्री लिस्ट-
चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, जल का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा (दान) के लिए पैसे आदि।
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सूर्योदय से पहले खा लेनी चाहिए सरगी-
मान्यता है कि सूर्योदय से पहले सरगी खा लेनी चाहिए। यह सरगी सास बहू को देती है। सरगी खाते समय दक्षिण दिशा की ओर मुंह करना शुभ होता है।
करवा चौथ में चंद्रमा की पूजा का महत्व-
शास्त्रों में चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। मान्यता है कि चंद्रमा की पूजा से वैवाहिक जीवन सुखी होती है और पति की आयु लंबी होती है।
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करवा चौथ शुभ मुहूर्त-
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, काशी में या आसपास में चंद्रोदय समय रात में लगभग 7:57 बजे होगा। 4 नवंबर को शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त है।