Karwa chauth 2019: इस करवा चौथ उच्च राशि का चंद्रमा देगा सुहागिनों को सौभाग्य का वरदान
कर्क चतुर्थी या करवा चौथ का व्रत प्राचीन काल से ही सुहागिनों का सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। करवा चौथ पर बहुत अद्भूद और शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन खास बात यह है कि चंद्रमा पूरे दिन अपनी उच्च राशि...
कर्क चतुर्थी या करवा चौथ का व्रत प्राचीन काल से ही सुहागिनों का सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। करवा चौथ पर बहुत अद्भूद और शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन खास बात यह है कि चंद्रमा पूरे दिन अपनी उच्च राशि यानी वृषभ में रहेगा। ज्योतिषिय दृष्टि की मानें तो यह स्थिति बहुत ही शुभ दृष्टि है। इसलिए उच्च राशि के चंद्रमा के कारण इस करवा चौथ का महत्व बहुत बढ़ गया है। इस करवा चौथ सुहागिन महिलाओं को कई गुना शुभ परिणाम मिलेंगे।
स्त्रियों के लिए व्रत परम सौभाग्य देने वाला बताया गया है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां निर्जला व्रत रखकर अपने पति की दीर्घायु, सफलता तथा वैवाहिक जीवन की मंगल की कामना करती हैं। इस व्रत के प्रताप से स्त्रियों को मांगल्य और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
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इस बार करवा चौथ का व्रत 17 अक्तूबर गुरुवार के दिन होगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां प्रात: काल से ही निर्जला व्रत रखकर चंद्रमा को अर्घ्य देकर चंद्रमा और अपने पति का दर्शन कर जल ग्रहण करके व्रत खोलती हैं। इस बारे में धार्मिक संस्थान विष्णुलोक के संस्थापक ज्योतिषविद विष्णु शर्मा ने बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत रखा जाता है। इस दिन महिला पूरे दिन वृत रखेंगी और रात्रि में चंद्रमा के दर्शन कर अपना व्रत खोलेंगी।
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उधर, ज्योतिषाचार्य विभोर इंदूसुत ने बताया कि करवा चौथ के व्रत में वैसे तो संपूर्ण शिव परिवार और चतुर्थी स्वरुप करवा का पूजन होता है पर इस व्रत में विशेष रूप से श्री गणेश का पूजन होता है और उन्हें साक्षी रखकर ही व्रत शुरू होता है। श्री गणेश जी को चतुर्थी का अधिपति देव माना गया है। इस दिन मध्याह्न के समय ्त्रिरयां एकत्रित होकर कर्क चतुर्थी व्रत की कथा का पाठ और श्रवण भी करती हैं।
व्रत के दिन ्त्रिरयां प्रात: स्नानादि करने के बाद विधि-विधान से पूजन करती हैं। वहीं, विनय पंडित ने बताया कि इस व्रत में महिलाएं चंद्रमा सहित भगवान शिव और कार्तिकेय की पूजा करती हैं और एक थाली में पकवान, सुहाली रखकर दक्षिणा सहित सास-ससुर को प्रदान करके और उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। चंद्रोदय का समय रात आठ बजकर 17 मिनट पर है।