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करवाचौथ : तप के समान है यह व्रत, शिव परिवार की करें उपासना

कार्तिक मास में कृष्णपक्ष चतुर्थी को करवाचौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए और कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत में...

करवाचौथ : तप के समान है यह व्रत, शिव परिवार की करें उपासना
लाइव हिन्दुस्तान टीम,meerutWed, 16 Oct 2019 03:07 AM
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कार्तिक मास में कृष्णपक्ष चतुर्थी को करवाचौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए और कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश, भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है। माता गौरी को सिंदूर, बिंदी, चुन्नी तथा भगवान शिव को चंदन, पुष्प, वस्त्र अर्पित किए जाते हैं। भगवान शिव का परिवार सभी के लिए आदर्श माना जाता है। इस दिन चंद्रदेव की पूजा का विशेष महत्व है।

चंद्रमा, भगवान शिव की जटा का आभूषण हैं जो दीर्घायु का प्रतीक हैं। इस व्रत का समापन चंद्र दर्शन के साथ होता है। चंद्रमा को अर्ध्य देकर छलनी से पहले चंद्र को, फिर पति को देखकर और पति के हाथों से पानी पीकर इस व्रत को खोला जाता है। मान्यता है कि महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को इस व्रत का महत्व बताया था कि अगर वह करवाचौथ के दिन उपवास रखती हैं तो पांडव युद्ध से सुरक्षित लौटेंगे। इस व्रत से गृहस्थ जीवन सुखमय होता है। करवाचौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है। इसमें पूरे दिन कुछ भी खाना और पीना वर्जित है। जल का भी त्याग करना होता है। अखंड सुहाग और सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिले, इसके लिए इस व्रत में माता गौरी और भगवान शिव की आराधना की जाती है। उपवास के दिन महिलाओं को किसी अन्य व्यक्ति को शक्कर, दूध, दही, चावल और सफेद वस्त्र नहीं देने चाहिए। करवाचौथ वाले दिन महिलाओं को विशेष तौर पर लाल परिधान ही पहनने चाहिए। लाल रंग शुभता का प्रतीक है। संभव हो शादी का जोड़ा ही व्रत के दिन पहनें।

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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