ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News AstrologyKarva chauth these karwa chauth vrata katha related to Karva Chauth

Karva chauth: करवा चौथ मनाने के पीछे हैं ये कथाएं

करवा चौथ का व्रत कब से शुरू हुआ इसके बारे में सही सही कोई प्रमाण नहीं मिलता। लेकिन शास्त्रों,पुराणों, महाभारत में भी करवाचौथ के महात्म्य पर कई कथाओं का वर्णन मिलता है।  मान्यताओं के अनुसार...

Karva chauth: करवा चौथ मनाने के पीछे हैं ये कथाएं
एजेंसी,नई दिल्लीThu, 17 Oct 2019 05:05 PM
ऐप पर पढ़ें

करवा चौथ का व्रत कब से शुरू हुआ इसके बारे में सही सही कोई प्रमाण नहीं मिलता। लेकिन शास्त्रों,पुराणों, महाभारत में भी करवाचौथ के महात्म्य पर कई कथाओं का वर्णन मिलता है। 

मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवाचौथ की यह कथा सुनाते हुए कहा था कि पूर्ण श्रद्धा और विधि-पूर्वक इस व्रत को करने से समस्त दुख दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-सौभाग्य तथा धन-धान्य की प्राप्ति होने लगती है। श्री कृष्ण भगवान की आज्ञा मानकर द्रौपदी ने भी करवा-चौथ का व्रत रखा था। इस व्रत के प्रभाव से ही अजुर्न सहित पांचों पांडवों ने महाभारत के युद्ध में कौरवों की सेना को पराजित कर विजय हासिल की।  

 एक अन्य पौराणिक कथा सावित्री और सत्यवान की है। जिसमें यमराज सावित्री के पति के प्राणों को ले जाते हैं और सावित्री उनके पीछे पीछे पति के प्राणों की भीख मांगते और करूण क्रदंन करते हुए जाती हैं। सावित्री के विलाप से विचलित हो यमराज ने उन्हें  सत्यवान के जीवन को छोड़कर कुछ भी मांगने का वचन देते हैं।  सावित्री ने यमराज से पुत्रवति होने का आशीर्वाद मांग लिया और यमराज ने तथास्तु कह दिया। इस पर सावित्री ने यमराज से पूछा जब आप मेरे पति के प्राणों को ले जारहे हैं तब मैं पुत्रवती कैसे हो सकती हूं। वचन में बंधने के कारण यमराज ने सत्यवान के प्राणों को वापस लौटा दिया। कहा जाता है तभी से महिलाएं अन्न और जल का त्यागकर पति की लम्बी आयु के लिए इस व्रत को करती हैं।        

एक अन्य कथा के अनुसार एक बार देवताओं और असुरों में युद्ध छिड़ गया। असुर देवताओं पर भारी पड़ रहे थे। देवताओं को असुरों को हराने का उन्हे कोई  उपाय नहीं सूझ रहा था। सभी देवता असुरों को हराने के लिए ब्रह्मा जी के पास गये। उन्होने देवताओं से कहा कि वे अपनी-अपनी पत्नियों से कहें अपने पति की मंगल कामना और असुरों पर विजय के लिए उपवास करें। इससे निश्चित ही देवताओं की विजय होगी। इसके बाद जब देवियों ने यह व्रत किया जिससे देवताओं की असुरों पर जीत हुई। माना जाता है तभी से इस व्रत का चलन हुआ है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें