करवाचौथ के दिन शिव-पार्वती की भी करें आराधना, जानें उनकी स्तुति करने का मंत्र
करवाचौथ का व्रत शुरू हो चुका है. ऐसे में सभी सुहागिनें पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत के नियमों का पालन करके पूजन विधि को संपन्न कर रही हैं. ऐसे में व्रत से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण रिवाज हैं, जिसको...
करवाचौथ का व्रत शुरू हो चुका है. ऐसे में सभी सुहागिनें पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत के नियमों का पालन करके पूजन विधि को संपन्न कर रही हैं. ऐसे में व्रत से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण रिवाज हैं, जिसको सभी व्रती महिलाएं निभाती हैं। इन सबके बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है। इसमें सरगी का उपहार, निर्जला व्रत का विधान, गौरी-गणेश और शिव की पूजा, शिव-गौरी की मिट्टी की मूर्ति बनाना, करवा चौथ की कथा का श्रवण, थाली फेरना आदि शामिल होता है।
इस दिन चौथ माता की स्तुति के अलावा शिव-पार्वती और उनके परिवार का ध्यान भी करना चाहिए। शिव परिवार की स्तुति करने से वैवाहिक और पारिवारिक जीवन मंगलमय होता है। गौरी माता का स्वरूप हैं चौथ माता।
ऐसे करें शिव-पार्वती की स्तुति
करवा चौथ में पूजा के लिए शुद्ध पीली मिट्टी से शिव, गौरी एवं गणेश जी की मूर्ति बनाई जाती है। फिर उन्हें चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है। माता गौरी को सिंदूर, बिंदी, चुन्नी तथा भगवान शिव को चंदन, पुष्प, वस्त्र आदि पहनाते हैं। श्रीगणेशजी उनकी गोद में बैठते हैं। कई जगहों पर दीवार पर एक गेरू से फलक बनाकर चावल, हल्दी के आटे को मिलाकर करवा चौथ का चित्र अंकित करते हैं। फिर दूसरे दिन करवा चौथ की पूजा संपन्न होने के बाद घी-बूरे का भोग लगाकर उन्हें विसर्जित करते हैं।
शिव स्तुति करने लिए मंत्र का जाप
नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्।
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।।
इस मंत्र से शिवा यानी पार्वती जी का षोडशोपचार पूजन करें। इसके पश्चात नम: शिवाय मंत्र से भगवान शिव का और 'षण्मुखाय नम:' से स्वामी कार्तिक का पूजा करें। इसके बाद नैवेद्य के करवे और दक्षिणा ब्राह्मण को देकर चन्द्रमा को अर्घ्य दें। पति के हाथों जल का पान करें और फिर भोजन ग्रहण करें।