Karwa Chauth 2020 puja muhurat timing: यह हैआज करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त,पूजा की विधि, कोरोनाकाल में रखें ये सावधानी
कोरोना काल में करवा चौथ का पावन पर्व आज बुधवार को मनाया जाएगा। अखंड सुहाग के निमित्त महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी। चंद्रोदय के बाद विधिपूर्वक पूजन करके अर्घ्य देंगी। परंपरा के अनुसार पति को चलनी से...
कोरोना काल में करवा चौथ का पावन पर्व आज बुधवार को मनाया जाएगा। अखंड सुहाग के निमित्त महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी। चंद्रोदय के बाद विधिपूर्वक पूजन करके अर्घ्य देंगी। परंपरा के अनुसार पति को चलनी से निहारने के बाद व्रत का पारण करेंगी।
हर सुहागिन के लिए प्रेम का प्रतीक करवा चौथ खासा मायने रखता है। लेकिन इस बार कोरोना कालखंड ने पर्व के प्रति आस्था, उल्लास को सीमित कर दिया है। इस का प्रभाव पारंपरिक पूजन, श्रृंगार, आभूषमों और कपड़ों पर दिख रहा है। संक्रमण का भय, सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन और कोरोना के प्रसार ने पर्व की रौनक कम कर दी है। लेकिन महिलाएं परंपरा के अनुसार पूजन अर्चन करके कोरोना से अपने सुहाग की रक्षा की कामना करेंगी।
पैर छूकर आशीर्वाद से परहेज
व्रत औऱ पूजन में महिलाएं पहले गले मिलकर और पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करती थी, लेकिन अब सोशल डिस्टेंसिंग के कारण पैर छूने से परहेज करेंगी। पति की ओर से दिए जाने वाले उपहार में इस बार डिजाइनर मास्क औऱ सेनिटाइजर दिए जाएंगे। करवा चौथ में पूजा के प्रसाद भी बाजार से ना मंगाकर घर पर ही शुद्ध प्रसाद बना लें।
यूट्यूबर पर सुनेंगी कथाएं: इस बार महिलाएं सामूहिक पूजा में शामिल न होकर यूटयूब, लाइव वीडियो कॉल में कथाएं सुनेंगी। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए इस तरह की सावधानी रखना बहुत जरूरी है।
करवा चौथ पूजा मुहूर्त
पूजा समय शाम - शाम 6:04 से रात 7:19
उपवास समय सुबह - शाम 6:40 से रात 8:52
चौथ तिथि - सुबह 3:24 से 5 नवंबर सुबह 5:14 तक
चंद्रमा का उदय - 4 नवंबर रात 8.16 से 8:52 तक
Karva Chauth 2020: यहां पढ़ें करवा चौथ व्रत की संपूर्ण कहानी
इस व्रत में पूरे दिन निर्जला रहा जाता है। व्रत में पूरा श्रृंगार किया जाता है। महिलाएं दोपहर में या शाम को कथा सुनती हैं। कथा के लिए पटरे पर चौकी में जलभरकर रख लें। थाली में रोली, गेंहू, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई, बायना का सामान आदि रखते हैं। प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत की जाती है। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इस बात का ध्यान रखें कि सभी करवों में रौली से सतियां बना लें। अंदर पानी और ऊपर ढ़क्कन में चावल या गेहूं भरें। कथा के लिए पटरे पर चौकी में जलभरकर रख लें। थाली में रोली, गेंहू, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई, बायना का सामान आदि रखते हैं। प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत की जाती है। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके बाद शिव परिवार का पूजन कर कथा सुननी चाहिए। करवे बदलकर बायना सास के पैर छूकर दे दें। रात में चंद्रमा के दर्शन करें। चंद्रमा को छलनी से देखना चाहिए। इसके बाद पति को छलनी से देख पैर छूकर व्रत पानी पीना चाहिए।