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Kartik Month: कार्तिक मास में जल में निवास करते हैं हरि

कार्तिक स्नान पूरे कार्तिक मास तक चलता है, जो इस वर्ष 13 अक्तूबर से 12 नवंबर तक है। कार्तिक में करवा चौथ, धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, आंवला नवमी, देव उठावनी एकादशी, बैकुंठ चतुर्दशी, देव...

Kartik Month: कार्तिक मास में जल में निवास करते हैं हरि
पं. भानुप्रतापनारायण मिश्र,नई दिल्लीTue, 15 Oct 2019 09:19 AM
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कार्तिक स्नान पूरे कार्तिक मास तक चलता है, जो इस वर्ष 13 अक्तूबर से 12 नवंबर तक है। कार्तिक में करवा चौथ, धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, आंवला नवमी, देव उठावनी एकादशी, बैकुंठ चतुर्दशी, देव दीपावली जैसे बड़े त्योहार आते हैं। सभी मासों में सबसे श्रेष्ठ है कार्तिक मास, क्योंकि इस मास में श्रीहरि जल में ही निवास करते हैं। जिन लोगों की शनि की साढे़ साती (वृश्चिक, धनु और मकर) तथा शनि की ढैया (वृष, कन्या) चल रही है, उन्हें कार्तिक स्नान करने का बड़ा लाभ होगा।

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स्नान को भोजन से भी ऊंचा माना जाता है। पुलस्त्य ऋषि ने कहा भी है कि स्नान के बिना न तो शरीर निर्मल होता है और न ही बुद्धि। अंगिरा ऋषि के अनुसार, स्नान करते समय हाथ में कुशा जरूर होनी चाहिए। पवित्र नदी, समुद्र, सरोवर, कुआं और बावड़ी जैसे प्राकृतिक जल स्रोतों में किया गया वरुण स्नान अति पावन माना गया है। मदन पारिजात के अनुसार- कार्तिक मास में जितेन्द्रिय रहकर नित्य स्नान करें और जौ, गेहूं, मूंग, दूध-दही और घी आदि का भोजन करें, तो सब पाप दूर हो जाते हैं। पुण्य प्राप्ति के लिए सूर्योदय से पूर्व ही स्नान करना चाहिए। 

स्नान के लिए तीर्थराज प्रयाग, अयोध्या, कुरुक्षेत्र और काशी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इनके साथ ही सभी पवित्र नदियों और तीर्थस्थलों पर भी स्नान शुभ रहता है। अगर आप इन स्थानों पर नहीं जा सकते, तो इनका स्मरण करने से भी लाभ होता है। यह श्लोक प्रचलित भी है- ‘गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेअस्मिन संनिधिं कुरु॥’

स्नान करने के समय ‘आपस्त्वमसि देवेश ज्योतिषां पतिरेव च। पापं नाशाय मे देव वाडंमन: कर्मभि: कृतम॥’ बोल कर जल की और ‘दु:खदरिद्रयनाशाय श्रीविष्णोस्तोषणाय च। प्रात:स्नान करोम्यद्य माघे पापविनाशनम॥’ कहकर परमेश्वर की स्तुति करनी चाहिए। स्नान जब समाप्त हो जाए, तो ‘सवित्रे प्रसवित्रे च परं धाम जले मम। त्वत्तेजसा परिभ्रष्टं पापं यातु सहस्त्रधा॥’ से सूर्य को अध्र्य देकर श्रीहरि का पूजन या स्मरण करना बहुत अच्छा रहता है। नदी में स्नान नहीं कर सकते तो रातभर छत पर रखे तांबे या मिट्टी के बरतन में भरे जल से स्नान भी शुभ रहता है। दिन भर सूर्य की किरणों से तपे हुए जल के स्नान को भी लाभकारी माना जाता है।

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