प्रबोधनी एकादशी, देवउठानी, देवउठान एकादशी इस बार शुक्रवार को मनाई जाएगी। हरि बोधनी एकादशी 25 एवं तुलसी विवाह 26 नवंबर को पड़ रहा है। ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन जोशी बताते हैं कि शास्त्रों में हरि बोधनी यानी देवोत्थानी एकादशी का बहुत अधिक महत्व है। एक तरफ जहां हरि शयनी एकादशी को भगवान विष्णु शयन करते हैं तो देवोत्थानी एकादशी के दिन श्रीहरि जागते हैं।
Kartik Mass 2020:: इस तारीख को है देवउठनी एकादशी, तुलसी पूजा में अर्पित करें ये चीजें
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी के साथ ही देवोत्थान एकादशी और उठनी ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सुख समृद्धि के लिए व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना का विधान है।
भगवान को जगाने के लिए आंगन में ईखों का मंडप सजाया जाता है।
चार कोने पर ईख और बीच में एक लकड़ी का पाटा रखा जाता है
उसके आगे सुंदर रंगोली बनाई जाती है। पारंपरिक भाषा में उसे अल्पना या अरिपन भी कहते हैं।
तुलसी और शालिग्राम को दूध में हल्दी भिगोकर लगाएं।
गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप लगाया जाता है।
पूजन करते हुए इस मौसम आने वाले फल जैसे बेर, आवंला, सेब आदि चढ़ाएं।
शाम में इस पर शालिग्राम भगवान को रखकर उनकी पूजा की जाएगी। गीतों के साथ श्रद्धालु भगवान को जगाएंगे।