ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News AstrologyKamika Ekadashi 2021 When is Kamika Ekadashi of Sawan 2021 Know the importance auspicious time and Vrat Paran Muhurat Astrology in Hindi

Kamika Ekadashi 2021: सावन मास की कामिका एकादशी कब है? जानिए महत्व, शुभ मुहूर्त और व्रत पारण का समय

हर माह की तरह सावन मास में भी दो एकादशी पड़ती हैं। एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में। सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि...

Kamika Ekadashi 2021: सावन मास की कामिका एकादशी कब है? जानिए महत्व, शुभ मुहूर्त और व्रत पारण का समय
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीMon, 02 Aug 2021 07:29 AM

इस खबर को सुनें

0:00
/
ऐप पर पढ़ें

हर माह की तरह सावन मास में भी दो एकादशी पड़ती हैं। एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में। सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। देवशयनी एकादशी के बाद से ही चतुर्मास चल रहा है। भगवान श्रीहरि योग निद्रा में हैं। हालांकि इस दौरान पूजा-पाठ की मनाही नहीं होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कामिका एकादशी के दिन व्रत नियमों का पालन और विधि विधान से पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही उन्हें पापों से मुक्ति मिल जाती है।

कब है कामिका एकादशी?

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 03 अगस्त, दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से प्रारंभ होगी। जिसका समापन 4 अगस्त, बुधवार को दोपहर 3 बजकर 17 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस साल कामिका एकादशी व्रत 4 अगस्त को रखा जाएगा।

कामिका एकादशी के दिन बन रहे ये शुभ योग-

कामिका एकादशी के दिन सुबह 05 बजकर 44 मिनट से अगले दिन 05 अगस्त को सुबह 04 बजकर 25 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इस साल कामिका एकादशी व्रत में सर्वार्थ सिद्धि योग में रखा जाएगा।

कामिका एकादशी व्रत पारण का समय-

कामिका एकादशी व्रत का पारण 05 अगस्त, दिन गुरुवार को किया जाएगा। व्रत का पारण सुबह 05 बजकर 45 मिनट से सुबह 08 बजकर 26 मिनट के बीच कभी भी कर सकते हैं। द्वादशी तिथि का समापन शाम को 05 बजकर 09 मिनट पर होगा।

कामिका एकादशी महत्व-

कामिका एकादशी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली और उसके पापों से मुक्ति दिलाने वाली है। इस व्रत का महत्व खुद भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था।


 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें