Kamada Ekadashi 2020 : भगवान विष्णु की आराधना का दिन है कामदा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
भगवान विष्णु की पूजा करने से अनजाने में किए गए पापों का नाश होता है और मन को शांति मिलती है। भगवान विष्णु की आराधना का ऐसा ही व्रत है कामदा एकादशी। हिन्दू पौराणिक मान्य ताओं के अनुसार इस व्रत...
भगवान विष्णु की पूजा करने से अनजाने में किए गए पापों का नाश होता है और मन को शांति मिलती है। भगवान विष्णु की आराधना का ऐसा ही व्रत है कामदा एकादशी। हिन्दू पौराणिक मान्य ताओं के अनुसार इस व्रत को करने से राक्षसों को भी उस योनि से मुक्ति मिलती है। आइए, जानते हैं व्रत की विधि और मुहूर्त-
कामदा एकादशी कब है
हिन्दूए पंचांग के अनुसार चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी को कामदा एकादशी मनाई जाती है। यह एकादशी चैत्र नवरात्र और रामनवमी के बाद आती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह हर साल मार्च या अप्रैल महीने में मनाई जाती है। इस बार कामदा एकादशी 4 अप्रैल को है।
कामदा एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 4 अप्रैल 2020 को सुबह 12 बजकर 58 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 4 अप्रैल 2020 को रात 10 बजकर 30 मिनट तक
कामदा एकादशी का महत्व
हिन्दू धर्म में कामदा एकादशी का विशेष महत्व है। कहते हैं कि इस व्रत को करने से राक्षस योनि से तो छुटकारा मिलता ही है साथ ही व्यक्ति को सभी संकटों और पापों से मुक्ति मिल जाती है। यही नहीं यह एकादशी सर्वकार्य सिद्धि और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है। मान्यता है कि सुहागिन महिलाएं अगर इस एकादशी का व्रत रखें तो उन्हें अखंड सौभाग्यम का वरदान मिलता है। कुंवारी कन्याओं की विवाह में आ रही बाधा दूर होती है। घर में अगर उपद्रव और कलेश है, तो वो भी इस एकादशी के व्रत के प्रभाव से दूर हो जाता है। इस व्रत को करने से घर में सुख-संपन्नता और प्रसन्नता आती है।
कामदा एकादशी की पूजा विधि
- कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है।
- इस दिन तड़के सुबह उठकर पवित्र नदियों या किसी तीर्थ स्थाधन में स्ना।न करना अच्छार माना जाता है।
- अगर ऐसा करना संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल छिड़क कर स्ना न करना भी शुभ होता है।
- नहाने के बाद घर के मंदिर में श्री हरि विष्णु की प्रतिमा, फोटो या कैलेंडर के आगे दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें।
- अब भगवान विष्णु का फल, फूल, दूध, पंचामृत और तिल से पूजन करें।
- श्री हरि विष्णु जी की पूजा में तुलसी दल अवश्यण रखें।
- तत्प श्चाात सत्या नारायण की कथा पढ़ें।
- अब भगवान विष्णुच की आरती उतार उन्हेंन भोग लगाएं।
- कामदा एकादशी का व्रत रखने वाले भक्त को इस दिन अनाज ग्रहण नहीं करना चाहिए।
- अगले दिन यानी कि द्वादश को ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद व्रत करना चाहिए।