साहस का संचार, हर बाधा को दूर करता है यह व्रत
सावन माह में कालाष्टमी पर भगवान शिव के भैरव रूप की पूजा का विशेष महत्व है। कालाष्टमी व्रत को बहुत फलदायी माना जाता है। विधि विधान से इस व्रत का पालन करने से घर में फैली नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती...
सावन माह में कालाष्टमी पर भगवान शिव के भैरव रूप की पूजा का विशेष महत्व है। कालाष्टमी व्रत को बहुत फलदायी माना जाता है। विधि विधान से इस व्रत का पालन करने से घर में फैली नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। इस व्रत के प्रभाव से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं और व्रती में साहस का संचार होता है। शुद्ध मन से इस व्रत का पालन करने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
कालाष्टमी के व्रत में असत्य वचन नहीं कहने चाहिए। किसी भी प्रकार के नशे का सेवन न करें। बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद अवश्य लें। भगवान भैरव की पूजा से जाने-अनजाने में हुए पाप भी दूर हो जाते हैं। भगवान भैरव की आराधना से शनि का प्रकोप भी शांत हो जाता है। कालाष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। इस व्रत को धारण करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। धूप, दीप, काले तिल, उड़द और सरसों के तेल से भगवान भैरव की पूजा करें। काले कुत्ते को मीठी रोटियां खिलाएं। इस दिन प्रात: काल पवित्र नदी में स्नान कर पितरों का श्राद्ध व तर्पण कर भगवान भैरव की उपासना से सभी विघ्न बाधाएं दूर हो जाती हैं। रात्रि में जागरण कर भगवान शिव एवं माता पार्वती की कथा का श्रवण करें। मध्य रात्रि में शंख, नगाड़ा, घंटा बजाकर भगवान भैरव की आरती करें। भगवान भैरव की कथा का भी श्रवण अवश्य करें। माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से काल भी दूर हो जाता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।