ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News Astrologyjivitputrika vrat 2020 Eating Fish Before Jitiya Vrat is Auspicious

Jivitputrika Vrat 2020: जितिया व्रत आज, मछली खाकर व्रत को रखना माना जाता है शुभ, पढ़ें ऐसी और परंपराएं

आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इस साल यह व्रत 10 सितंबर (गुरुवार) को है। जीवित्पुत्रिका व्रत संतान के स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है।...

Jivitputrika Vrat 2020: जितिया व्रत आज, मछली खाकर व्रत को रखना माना जाता है शुभ, पढ़ें ऐसी और परंपराएं
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 10 Sep 2020 08:27 AM
ऐप पर पढ़ें

आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इस साल यह व्रत 10 सितंबर (गुरुवार) को है। जीवित्पुत्रिका व्रत संतान के स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान को कष्टों से बचाने और लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत को कुछ जगहों पर जितिया या जिउतिया व्रत के नाम से भी जानते हैं। इस व्रत को शुरू करने से पहले अलग-अलग जगहों पर खान-पान की अपनी-अपनी परंपरा है। जानिए किन चीजों का सेवन कर जीवित्पुत्रिका व्रत को शुरू करना मानते हैं शुभ-

1. सनातन धर्म में पूजा-पाठ में मांसाहार का सेवन वर्जित माना गया है। लेकिन इस व्रत की शुरुआत बिहार में कई जगहों पर मछली खाकर की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस परंपरा के पीछे जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा में वर्णित चील और सियार का होना माना जाता है।

2.  जीवित्पुत्रिका व्रत को रखने से पहले कुछ जगहों पर महिलाएं गेहूं के आटे की रोटियां खाने की बजाए मरुआ के आटे की रोटियां खाती हैं। हालांकि इस परंपरा के पीछे का कारण ठीक से स्पष्ट नहीं है। ऐसा सदियों से होता चला आ रहा है।

Jivitputrika Vrat 2020: इस शुभ मुहूर्त में करें जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा, जान लें पूजा विधि और पारण का समय

3. इस व्रत को रखने से पहले नोनी का साग खाने की भी परंपरा है। कहते हैं कि नोनी के साग में कैल्शियम और आयरन भरपूर मात्रा में होता है। जिसके कारण व्रती के शरीर को पोषक तत्वों की कमी नहीं होती है।

4. इस व्रत के पारण के बाद महिलाएं जितिया का लाल रंग का धागा गले में पहनती हैं। व्रती महिलाएं जितिया का लॉकेट भी धारण करती हैं।

5. पूजा के दौरान सरसों का तेल और खल चढ़ाया जाता है। व्रत पारण के बाद यह तेल बच्चों के सिर पर आशीर्वाद के तौर पर लगाते हैं।

(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें