जगन्नाथ रथ यात्रा: रथ यात्रा के दौरान गुंडिचा मंदिर में रहते हैं भगवान जगन्नाथ, जानें क्या होता है इस दौरान
आज ओडिशा के पुरी से जगन्नाथ रथयात्रा शुरू हो रही है। ओडिशा के पुरी और गुजरात के अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा बहुत ही श्रद्धा भाव से निकाली जाती है। अलग-अलग रथों में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और...
आज ओडिशा के पुरी से जगन्नाथ रथयात्रा शुरू हो रही है। ओडिशा के पुरी और गुजरात के अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा बहुत ही श्रद्धा भाव से निकाली जाती है। अलग-अलग रथों में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी के रथ निकलते हैं। यह रथ यात्रा गुंडिचा मंदिर जाकर संपन्न मानी जाती है। कहा जाता है कि गुंडिचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर है। भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर रहते हैं जहां उन्हें बहुत से पकवानों का भोग लगाया जाता है।
रथ यात्रा के चौथे दिन हीरा पंचमी मनाई जाती है जब माता लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ की खोज में गुंडिचा मंदिर पहुंचती हैं। इसके बाद मंदिर में 8 दिन रहने के बाद भगवान जगन्नाथ वापस जगन्नाथ मंदिर पहुंच जाते हैं।
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अलग-अलग फूलों से सजे लकड़ी के बने इन रथों को लोग रस्सियों के सहारे खींचते हैं। कहते हैं कि जो इन रथों को खींचता है उन्हें मोक्ष की प्राप्त होती है। मान्यता है कि भगवान अपनी प्रजा के सुख दुख देखने के लिए बाहर आते हैं।
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तीनों रथ अलग-अलग रंगों से बने होते हैं। लकड़ी से बने इन रथों में पहिए भी अलग-अलग संख्या में लगे होते हैं। बताया जाता है कि भगवान जगन्नाथ जी के रथ में 16, बलभद्र जी के रथ में 14 और सुभद्रा जी के रथ में 12 पहिए लगे होते हैं।