सक्सेस मंत्र: सकारात्मक ऊर्जा के स्रोत हैं स्वामी दयानंद सरस्वती के ये विचार
मानव जीवन को प्रेरित करने वाले महापुरुषों की भारत में कभी कमी नहीं रही। यहां हमेशा हमेशा से ऐसे महापुरुषों को का गुणगान किया जाता रहा है जिन्होंने मानव जीवन को नई दिशा दी हो। इन महापुरुषों के विचार...
मानव जीवन को प्रेरित करने वाले महापुरुषों की भारत में कभी कमी नहीं रही। यहां हमेशा हमेशा से ऐसे महापुरुषों को का गुणगान किया जाता रहा है जिन्होंने मानव जीवन को नई दिशा दी हो। इन महापुरुषों के विचार को मनुष्य को निराशा और नकारात्मकता से बचाकर उन्हें सकारात्मक सोच प्रदान करते रहे हैं। जीवन जीने की नई आशा देते रहे हैं।
अपने विचारों व्यक्ति में ऊर्जा का नया संचार करने की क्षमता रखने वाले महापुरुषों में से एक स्वामी दयानंद सरस्वती भी एक हैं।
महान समाज सुधारक थे स्वामी दयानंद सरस्वती
स्वामी दयानंद सरस्वती वेदों के पुनर्जागरण और अंधविश्वास के खिलाफ विचारों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने बाल विवाह और सती प्रथा को बंद करने की वकालत की साथ ही विधवा विवाह का भी समर्थन किया। वह स्त्री शिक्षा के भी प्रबल समर्थक थे। आगे पढ़ें स्वामी दयानंद सरस्वती के कुछ अनमोल विचार-
स्वामी जी के अनमोल विचार
1- लोग कहते हैं कि मैं जो कहता हूं उसे वे समझ जाते हैं और मैं बहुत सरल हूं। लेकिन मैं सरल नहीं हूं, मैं स्पष्ठ हूं।
2- आपके पास जो सबसे अच्छी चीज है उसे दुनिया को दो, आप देखेंगे कि आपको भी दुनिया से सबसे अच्छी चीज मिल रही है।
3- सेवा का सबसे अच्छा रूप है यह है कि आप उस व्यक्ति की मदद करें जो इस उपकार का बदला देने के बारे में भी न सो सके।
4- वेदों मे वर्णीत सार का पान करनेवाले ही ये जान सकते हैं कि 'जिन्दगी' का मूल बिन्दु क्या है।
5- क्रोध का भोजन 'विवेक' है, अतः इससे बचके रहना चाहिए। क्योंकि 'विवेक' नष्ट हो जाने पर, सब कुछ नष्ट हो जाता है।
6- क्षमा करना सबके बस की बात नहीं, क्योंकी ये मनुष्य को बहुत बड़ा बना देता है।
7- काम मनुष्य के 'विवेक' को भरमा कर उसे पतन के मार्ग पर ले जाता है।
8- संस्कार ही 'मानव' के 'आचरण' की नीव होता है, जितने गहरे 'संस्कार' होते हैं, उतना ही 'अडिग' मनुष्य अपने कर्तव्य, धर्म, सत्य और न्याय पर होता है।