नरक चौदस और दीपावली की तिथि को लेकर असमंजस है तो पढ़ लें ये खबर
दिवाली का त्योहार 25 अक्तूबर धनतेरस से शुरू हो जाएगा। अगले पांच दिनों तक घरों में दीपोत्सव की धूम रहेगी। ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की माने तो इस बार पांच दिवसीय दीपोत्सव में नरक चतुर्दशी और...
दिवाली का त्योहार 25 अक्तूबर धनतेरस से शुरू हो जाएगा। अगले पांच दिनों तक घरों में दीपोत्सव की धूम रहेगी। ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की माने तो इस बार पांच दिवसीय दीपोत्सव में नरक चतुर्दशी और दीपावली एक दिन पड़ रही है। सुबह 12:21 बजे तक नरक चतुर्दशी है, इसके बाद शाम को अमवस्या शुरू हो जाएगी। इस समय दीपावली का पूजन करना श्रेष्ठ है। उन्होंने बताया कि करीब 50 साल बाद ऐसा योग है, जिसमें दीपावली के दिन नरक चतुर्दशी पड़ रही है। हालांकि दीपावली में रात को पूजा करने के विधान को देखते हुए 27 अक्तूबर को ही दीपावली मनाना श्रेष्ठ है।
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25 अक्तूबर को धनतेरस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी में मनाया जाएगा। इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा के साथ लोग माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा करेंगे। धनतेरस के तीसरे दिन ही अमावस्या तिथि में दीपावली मनाई जाती है। भाई दूज पर पर जाकर पंच दिवसीय पर्व दीपावली समाप्त हो जाता है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस बार भाई दूज का पर्व 29 अक्टूबर को मंगलवार के दिन है। भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद पड़ता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की खुशहाली के लिए कामना करते हुए उनके माथे पर रोली चंदन का तिलक करती हैं और उनकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन यमराज बहनों द्वारा मांगी गई मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इस दिन शाम ढलने से पहले बहन के घर जाना और बहने के हाथों से बना भोजन करना बहुत ही शुभ फलदायी होगा।
27 को दीपावली, सुबह रूप चौदस का योग भी रविवार सुबह चौदस तिथि रहेगी और शाम को अमावस्या रहेगी। 27 अक्तूबर को भी सुबह रूप चौदस रहेगी और प्रदोष कालीन अमावस्या रात में होने से दीपावली 27 को ही मनाना श्रेष्ठ है। जो लोग अमावस्या तिथि पर पितरों के लिए श्राद्ध करना चाहते हैं, वे सोमवार 28 अक्टूबर की सुबह श्राद्ध कर्म करें।