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कुंडली में इस स्थान पर बैठा हो सूर्य तो बनते हैं पैतृक सम्पत्ति या अचानक धन लाभ के योग

सूर्य सौरमंडल का आधार है। सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सूर्य के कारण पृथ्वी पर जीवन है और दिन रात होते हैं। सूर्य अग्नि तत्व और क्रूर स्वभाव का ग्रह पुर्लिंग की श्रेणी में आता है। इसकी राशि...

कुंडली में इस स्थान पर बैठा हो सूर्य तो बनते हैं पैतृक सम्पत्ति या अचानक धन लाभ के योग
पं.श‍िवकुमार शर्मा) ,मेरठ Mon, 21 Sep 2020 12:26 PM
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सूर्य सौरमंडल का आधार है। सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सूर्य के कारण पृथ्वी पर जीवन है और दिन रात होते हैं। सूर्य अग्नि तत्व और क्रूर स्वभाव का ग्रह पुर्लिंग की श्रेणी में आता है। इसकी राशि सिंह है और मेष राशि में उच्च होते हैं। यह कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामी है। सूर्य की स्वराशि सिंह है, उच्च राशि मेष है और नीच राशि तुला है। सूर्य की महादशा छह वर्ष की होती है। मेष,वृषभ, सिंह, धनु और कुंभ लग्नों में सूर्य कारक और शुभ होता है। सूर्य की मित्र राशियां कर्क, वृश्चिक और मीन है ‌और शत्रु राशियां वृष,तुला और कुंभ है। सूर्य जिस स्थान पर होता है उस भाव से सप्तम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है। सूर्य सिंह राशि के 20 अंश तक मूल त्रिकोण में रहता है।

सूर्य की प्रकृति स्वस्थ,वर्ण क्षत्रिय और रस कटु होता है। सूर्य का व्यक्ति के सिर और मुख पर आधिपत्य होता है। काल पुरुष के अनुसार सूर्य आत्म कारक ग्रह होता है। शुक्र,शनि, राहु, सूर्य के शत्रु ग्रह हैं। बुध सम है। चंद्र ,मंगल, गुरु मित्र हैं। सूर्य के देव शिव हैं और उनका गोत्र कश्यप है। सूर्य आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य और अश्लेषा नक्षत्र में बलवान होता है। सूर्य प्रशासनिक सेवाओं का कारक होता है यह व्यक्ति को नेतृत्व क्षमता प्रदान करता है।

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जिनकी कुंडली में सूर्य अशुभ होता या नीच का होता है तो वह व्यक्ति अपने पिता से दूरी बना लेता है क्योंकि कुंडली में सूर्य पिता का कारक होता है। पिता को प्रसन्न करने से सूर्य प्रसन्न हो जाते हैं। सूर्य कन्या की कुंडली में पृथक्कारी ग्रह होता है। यदि सूर्य सप्तम भाव में हो या सप्तम दृष्टि हो और सप्तम भाव पर कोई शुभ प्रभाव न हो तो द्विविवाह योग बनाता है। सूर्य यदि अपनी उच्च राशि मेष को सप्तम दृष्टि से देखें तो उससे भाव की हानि करता है। अष्टम में सूर्य या अष्टमेश होने पर सूर्य को  दोष नहीं लगता है। अष्टम में सूर्य या अष्टमेश सूर्य होने से व्यक्ति के अंदर रिसर्च की भावना होती है। वह शोध कार्य में रुचि रखता है। पैतृक सम्पत्ति या अचानक धन लाभ के योग बनते हैं। यदि आपकी कुंडली में सूर्य का अशुभ प्रभाव पड़ रहा है तो आप को नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। तांबे के लोटे से सूर्य को प्रात:काल जल प्रदान करना चाहिए। पिता एवं पिता तुल्य व्यक्तियों की सेवा सम्मान करना चाहिए। माणिक्य सूर्य का रत्न है। कमजोर सूर्य को पुष्ट करने के लिए माणिक्य रत्न को भी धारण किया जा सकता है।
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।) 

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