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हीरा कृत्रिम है या असली, पहचान कर पहनें

आजकल कृत्रिम हीरे का खास प्रचलन है, बाजार में अच्छी-खासी संख्या में यह बिक भी रहा है। यह प्रचलन नया हो, ऐसा नहीं है। प्राचीन काल से ही नकली हीरे बनाने का प्रचलन रहा है। हीरे का मूल्य एवं सम्मान देखकर...

हीरा कृत्रिम है या असली, पहचान कर पहनें
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 16 Aug 2019 12:32 PM
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आजकल कृत्रिम हीरे का खास प्रचलन है, बाजार में अच्छी-खासी संख्या में यह बिक भी रहा है। यह प्रचलन नया हो, ऐसा नहीं है। प्राचीन काल से ही नकली हीरे बनाने का प्रचलन रहा है। हीरे का मूल्य एवं सम्मान देखकर कुछ चालाक लोग नकली हीरे के निर्माण में लग गए हैं। ऐसे लोग लोहा, पुखराज, गोमेद, वैदूर्य, स्फटिक और कांच से कृत्रिम हीरे बना लेते हैं। इसलिए लोगों को इसकी परीक्षा ठीक ढंग से करनी चाहिए।

कृत्रिम हीरा चार तरह का होता है 
संश्लिष्ट, पुनर्निर्मित, अनुकृत और श्लिक। व्यावसायिक दृष्टि से लाभदायक संश्लिष्ट हीरा अभी तक नहीं बनाया जा सका है, हालांकि वैज्ञानिक इस ओर प्रयत्नशील हैं। रत्नीय हीरे के रूप में इनका कोई उपयोग नहीं है।

हीरे के उपरत्न
जो व्यक्ति नहीं खरीद सकते, उन्हें हीरे का उपरत्न पहनना चाहिए। इनकी कीमत हीरे की अपेक्षा कम होती है। इसलिए ये कम प्रभावशाली होते हैं। हीरे के उपरत्न हैं सिम्मा, कुरंगी, दतला, कंसला और तंकू हीरा।

इन स्थितियों में धारण कर सकते हैं हीरा 
- हीरा विष नाशक रत्न है, जो व्यक्ति जंगल में घूमते फिरते हों या जिनका विषधरों से अक्सर पाला पड़ता हो। उन्हें हीरा अवश्य पहनना चाहिए।
- जिस स्त्री या पुरुष को भूत-प्रेत बाधा हो, हीरा पहनना चाहिए।
- जो व्यक्ति संभोग या काम-क्रीड़ा में कमजोर पड़ते हों, जिनसे पत्नी संतुष्ट न होती हो, उन्हें हीरा पहनना चाहिए। इससे निर्बलता भी दूर होती है।
- यदि घर में पति-पत्नी के बीच कलह होती हो तो भी हीरा पहनना चाहिए। 
 

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