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Holika Dahan 2021: होलिका दहन के समय इन कथाओं को पढ़ने से मनोकामना पूरी होने की है मान्यता

Holika Dahan Katha 2021: किसी भी त्योहार में पूजा-पाठ के साथ कथा का भी विशेष महत्व होता है। होलिका दहन के समय भी कथा करने का विधान है। मान्यता है कि होलिका दहन के दौरान कथा पढ़ने या सुनने...

Holika Dahan 2021: होलिका दहन के समय इन कथाओं को पढ़ने से मनोकामना पूरी होने की है मान्यता
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSun, 28 Mar 2021 05:30 AM
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Holika Dahan Katha 2021: किसी भी त्योहार में पूजा-पाठ के साथ कथा का भी विशेष महत्व होता है। होलिका दहन के समय भी कथा करने का विधान है। मान्यता है कि होलिका दहन के दौरान कथा पढ़ने या सुनने से सुख-समृद्धि आती है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। कहा जाता है कि होली पर पीली सरसों के जरिए मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है। इसके लिए होलिका दहन पर पीली सरसों से हवन करें। ऐसा कहा जाता है कि इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन संपत्ति और भंडारे भरती हैं।

होली 2021 की तारीख और शुभ मुहूर्त-

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 28, 2021 को 03:27 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 29, 2021 को 00:17 बजे
होलिका दहन रविवार, मार्च 28, 2021 को
होलिका दहन मुहूर्त – 18:37 से 20:56
अवधि – 02 घंटे 20 मिनट

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होलिका दहन 2021 कथा:

एक पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान के अनन्य भक्त थे। उनकी इस भक्ति से पिता हिरण्यकश्यप नाखुश थे। इसी बात को लेकर उन्होंने अपने पुत्र को भगवान की भक्ति से हटाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन भक्त प्रह्लाद प्रभु की भक्ति को नहीं छोड़ पाए। अंत में हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने के लिए योजना बनाई। अपनी बहन होलिका की गोद में प्रह्लाद को बैठाकर अग्नि के हवाले कर दिया। लेकिन भगवान की ऐसी कृपा हुई कि होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद आग से सुरक्षित बाहर निकल आए, तभी से होली पर्व को मनाने की प्रथा शुरू हुई।

एक अन्य कथा के अनुसार, हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो जाये पर शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे। कामदेव पार्वती की सहायता को आये। उन्होंने प्रेम बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गयी।  शिवजी को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी।  उनके क्रोध की ज्वाला में कामदेव का शरीर भस्म हो गया। फिर शिवजी ने पार्वती को देखा। पार्वती की आराधना सफल हुई और शिवजी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकत्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है।

(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

 

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