अद्भुत है ब्रज की होली
होली हिंदू वर्ष का अंतिम त्योहार है। फाल्गुन पूर्णिमा को हिंदू वर्ष का अंतिम दिन माना जाता है और अगले दिन चैत्र प्रतिपदा से नववर्ष की शुरुआत हो जाती है। मान्यता है कि सबसे पहले होली भगवान श्रीकृष्ण...
होली हिंदू वर्ष का अंतिम त्योहार है। फाल्गुन पूर्णिमा को हिंदू वर्ष का अंतिम दिन माना जाता है और अगले दिन चैत्र प्रतिपदा से नववर्ष की शुरुआत हो जाती है। मान्यता है कि सबसे पहले होली भगवान श्रीकृष्ण ने राधा रानी के साथ खेली थी। इसलिए ब्रज की होली दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
बरसाना श्रीराधा रानी की जन्म भूमि है। यहां की लट्ठमार होली विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष नवमी को मनाई जाती है। इस दिन नंदगांव के ग्वाल बाल होली खेलने के लिए राधा रानी के गांव बरसाना जाते हैं और बरसाना के लोग नंदगांव जाते हैं। इन पुरुषों को होरियारे कहा जाता है। इसके अगले दिन फाल्गुन शुक्ल दशमी के दिन बरसाना के हुरियार नंदगांव की हुरियारिनों से होली खेलने उनके यहां पहुंचते हैं। माना जाता है कि श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ श्रीराधा रानी तथा उनकी सखियों से होली खेलने पहुंचते थे। श्रीराधा रानी तथा उनकी सखियां ग्वाल वालों पर डंडे बरसाया करती थीं। आज भी इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन सभी महिलाओं में श्री राधारानी की आत्मा बसती है। बरसाना में ‘लड्डू होली’ भी धूमधाम से मनाई जाती है। लड्डू होली खेले जाने के पीछे मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण और नंद गांव के सखाओं ने होली खेलने का न्योता स्वीकार कर लिया है और वह नौंवी के दिन बरसाना की हुरियारिनों से होली खेलने बरसाना आ रहे हैं। बरसाना के लाडली मंदिर में इस होली को देखने की लिए लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।