इस बार यायिजय महायोग में होगा होलिका दहन, भद्रा अवधि में शुभ योग
इस बार होली के खास मौके पर ग्रह-नक्षत्रों का बेहद खास संयोग बन रहा है। ऐसा संयोग 499 साल बाद बना है। भारतीय वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार फाल्गुन पूर्णिमा 9 मार्च को है। पंडित विनोद त्रिपाठी...
इस बार होली के खास मौके पर ग्रह-नक्षत्रों का बेहद खास संयोग बन रहा है। ऐसा संयोग 499 साल बाद बना है। भारतीय वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार फाल्गुन पूर्णिमा 9 मार्च को है। पंडित विनोद त्रिपाठी कहते हैं कि इस दौरान गुरु बृहस्पति और शनि अपनी-अपनी राशियों में रहेंगे। जिसे सुख-समृद्धि और धन-वैभव के लिहाज से अच्छा माना जा रहा है।
होलिका पूजन मुहूर्त
ज्योतिषविद विभोर इंदुसुत के अनुसार देवगुरु धनु राशि में और शनि मकर राशि में रहेंगे। इस बार यायिजय महायोग बन रहा है, इससे पहले ग्रहों का यह संयोग 3 मार्च 1521 में बना था। ज्योतिषविद भारत ज्ञान भूषण कहते हैं कि एक ओर गुरु बृहस्पति जहां जहां ज्ञान, संतान, गुरु, धन-संपत्ती के प्रतिनिधि हैं तो वहीं शनि न्याय के देवता हैं। शनि का फल व्यक्ति के उसके कर्मों के अनुसार मिलता है।
शनि पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर महंत महेंद्र दास बताते हैं कि यदि व्यक्ति अच्छे कर्म करता है तो उसे शनि अच्छे फल और बुरे कार्य करता है तो शनि उसे विभिन्न रूप में दंडित करता है। होली पर इन दोनों ग्रह की शुभ स्थिति किसी शुभ योग से कम नहीं है।
होलिका पर नहीं भद्रा : इस बार होली दहन के दौरान भद्रा नहीं *रहेगी। होली वाले दिन दोपहर 1 बजकर 10 मिनट तक भद्रा उपस्थित *रहेगी। इसलिए दोपहर 1:10 पर भद्रा समाप्त होने के बाद ही होली पूजन करना श्रेष्ठ होगा। अगर विशेष रूप से *होली दहन के मुहूर्त की बात करें तो इस बार रात्रि 6.22 बजे से 8.52 बजे के बीच कन्या लग्न में होली दहन का श्रेष्ठ मुहूर्त होगा।
भद्रा अवधि में शुभ योग: सुबह 10.16 से 10.31 बजे तक भद्रा पश्चात लाभामृत योग: दोपहर 1.13 से शाम 6.00 बजे तक। होलिका दहन मुहूर्त कुल अवधि: शाम 6.22 से रात 11.18 बजे तक। शुभ मुहूर्त: शाम 6.22 से रात 8.52 बजे तक। प्रदोष काल विशेष मंगल मंगल मुहूर्त: शाम 6.22 से शाम 7.10 बजे तक। होलिका पूजन मंत्र असृक्कथा भय सत्र स्तै: कृत्वात्वं वालि रौ: अतस्तवां पूजस्ममि भूवि भूवि प्रदा भव: