Haryali teej 2018: जानें हरियाली तीज से जुड़ी ये बातें
रिमझिम फुहारों के बीच सावन महीने में शुक्ल पक्ष को मनाई जाने वाली हरियाली तीज इस बार 13 अगस्त को मनाई जाएगी। पंजाब और उत्तर प्रदेश में सुहागिन महिलाओं को इस त्यौहार का बेसब्री से इंतजार रहता...
रिमझिम फुहारों के बीच सावन महीने में शुक्ल पक्ष को मनाई जाने वाली हरियाली तीज इस बार 13 अगस्त को मनाई जाएगी। पंजाब और उत्तर प्रदेश में सुहागिन महिलाओं को इस त्यौहार का बेसब्री से इंतजार रहता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि के दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिया और साथ ही अपनी पत्नी बनाने का भी वरदान दिया। शिव के वरदान से देवी पार्वती के मन में हरियाली छाई और वह आनंद से झूम उठीं इसलिए इस तृतीया तिथि को हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है।
इस दिन महिलाएं अपने मायके आती हैं और उनके लिए ससुराल से कपड़े और मिठाइयां आती हैं, जिसे सिंधारा के नाम से जाना जाता है। महिलाएं उन्ही कपड़ों को पहनकर और मेंहंदी लगाकर भगवान शिव और पार्वती की पूजा करतीं हैं।
हरियाली तीज: शिव पार्वती की आराधना कर मांगें पति की लंबी उम्र
हरियाली तीज और हरतालिका तीज
तीज का त्यौहार दो नामों से जाना जाता है। एक हरियाली तीज और दूसरा हरतालिका तीज। हरियाली तीज के दिन महिलाएं सज धज के झूला झूलने, मेहंदी लगाकर हरी-चूड़ियां पहनती हैं।
वहीं हरतालिका तीज का व्रत करवा चौथ के व्रत की तरह होता है। जिसमें महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। हरियाली तीज के बाद आता है हरतालिका तीज। इसे बिहार, यूपी समेत उत्तर भारत में मनाया जाता है।
इस व्रत में गौर (मिट्टी से बनी शिव-पार्वती की मूर्ति) की पूजा की जाती है। स्त्रियां सोलह श्रृंगार करके तैयार होती हैं और सोलह श्रृंगार के सामान गौर को अर्पित भी करती हैं।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।