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Teej Ki Puja: हरतालिका तीज आज, जानें ज्योतिषाचार्य से व्रत का महत्व और पूजा शुभ मुहूर्त

Hartalika Teej: हरतालिका तीज पर विवाहित महिलाएं अपने पतिव्रता धर्म का पालन करती हैं और भगवान शिव और पार्वती की विधिवत आराधना करती हैं।

Teej Ki Puja: हरतालिका तीज आज, जानें ज्योतिषाचार्य से व्रत का महत्व और पूजा शुभ मुहूर्त
Shrishti Chaubeyलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीMon, 18 Sep 2023 04:56 PM
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Teej 2023 Date: हरतालिका तीज, हर साल भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनायी जाती है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में पड़ती है। हरतालिका तीज पर विवाहित महिलाएं अपने पतिव्रता धर्म का पालन करती हैं और भगवान शिव और पार्वती की आराधना करती हैं, ताकि वे सुख-शांति और आनंद में रहें। पति की लम्बी आयु की कामना के लिए इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। तीज का व्रत सूर्योदय से शुरू होता है, जो 24 घंटे बाद अगले दिन सूर्योदय पर समाप्त होता है। इसलिए आइए जानते हैं हरतालिका तीज व्रत पूजन का शुभ मुहूर्त और मान्यता के बारे में-

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हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त 
शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत- 17 सितंबर, सुबह 11.09 से 18 सितंबर, 12.39 तक 
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त- 18 सितंबर, शाम 06.24 बजे से शाम 06.47 बजे तक 
प्रातः काल पूजा मुहूर्त- 18 सितंबर, सुबह 06.07 से सुबह 08.34 तक 

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तीज व्रत का महत्व 
आचार्य पंडित शत्रुघन झा ने बताया कि इस वर्ष हरतालिका तीज व्रत 18 सितंबर को मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार द्वितीया युक्त तिथि में तीज व्रत नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्म शास्त्रों के अनुसार, चतुर्थी युक्त तृतीया तिथि को तीज व्रत उत्तम माना गया है। द्वितीया तिथि रहने पर भूलकर भी नहीं करना चाहिए। वह दोष युक्त होता है। तीज व्रत को हरितालिका तीज व्रत के नाम से जाना जाता है। इस व्रत को करने से अखंड सुख, सौभाग्य फल प्राप्ति के लिए स्त्री एवं कन्याएं भावी सुखी दांपत्य जीवन के लिए तपस्या की भांति कठिन तीज व्रत करते हैं। इस व्रत के करने से पति की उम्र दीर्घायु पुत्र आदि जन्म जन्मांतर अखंड सुख सौभाग्य की कामना हेतु किया जाता है। इस व्रत को सर्वप्रथम पार्वती शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घनघोर जंगल में कठिन कर बालू की शिवलिंग की प्रतिमा बनाकर पूजा-अर्चना नदी के किनारे की थी। इस दिन जल आहार ग्रहण किए बिना पूरी रात जागरण कर पूजन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस व्रत को करने से और कथा सुनने से हजारों अश्वमेध यज्ञ करने का फल भी प्राप्त होता है।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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