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janmashtami 2020: क्या आप जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का नाम 'कृष्ण' क्यों और किसने रखा?

जन्माष्टमी आज देशभर में धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। इस दिन भक्त विधि-विधान से भक्त श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा...

janmashtami 2020: क्या आप जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का नाम 'कृष्ण' क्यों और किसने रखा?
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीWed, 12 Aug 2020 06:44 AM
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जन्माष्टमी आज देशभर में धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। इस दिन भक्त विधि-विधान से भक्त श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर भगवान श्रीकृष्ण को कृष्ण क्यों बुलाते हैं? आखिर उनका नाम नामकरण कैसे हुआ? आज हम आपको बता रहे हैं भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाने वाले श्रीकृष्ण का नाम कृष्ण कैसे पड़ा?

एक पौराणिक कथा के अनुसार, पुरोहित गर्गाचार्य एक दिन नन्द और यशोदा से मिलने के लिए जाते है। आचार्य गर्ग ने बताया कि वह पास एक गांव में बच्चे ने जन्म लिया है और वह उसका नामकरण करने जा रहे हैं। यह सुनकर नन्द और यशोदा ने बाबा से अनुरोध किया वह उनके दो बालकों का नामकरण भी कर दें।

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पुरोहित गर्ग ने कहा कि कंस को पता चलेगा तो वह जीना मुश्किल कर देगा। जिसपर नन्द बाबा ने कहा कि भगवन आप चुपचाप गौशाला में नामकरण कर देना किसी को पता नहीं चलेगा। गर्गाचार्य तैयार हुए। जब रोहिणी ने सुना कि पुरोहित जी नामकरण करने आए हैं तो वह गुणगान बखान करने लगी। माता यशोदा रोहिणी से बोलीं कि ऐसा करते हैं कि हम अपने बच्चे आपस में बदल लेते हैं, देखती हूं कि कैसे तुम्हारे कुल पुरोहित सच्चाई जानते हैं।

बच्चे बदलकर माताएं गौशाला पहुंचीं। यशोदा के हाथ में बच्चे को देखकर गर्गाचार्य कहने लगे कि ये रोहिणी का पुत्र है, इसलिए इसका नाम रौहणेय होगा। यह अपने गुणों से सबको आनंदित करेगा और बल में इसके समान कोई नहीं होगा। लेकिन सबसे ज्यादा लिया जाने वाला नाम बलराम होगा।

जैसे ही बाबा ने रोहिणी के गोद के बालक को देखा तो वह मुरतिया में खो गए। गर्गाचार्य अपनी सुधि भूल गए। बाबा गर्ग की यह अवस्था देखकर नन्द घबरा गए कि बाबा को क्या हुआ। तभी बाबा एकदम से बोल पड़े कि यह कोई साधारण इंसान तो नहीं। तभी कान्हा ने अचानक से आंख खोली। गर्गाचार्य ने कहा कि यह साक्षात भगवान है। तभी कान्हा ने आंखों ही आंखों ने बाबा गर्ग को इशारा किया कि वह उनका भेद न खोलें। कान्हा ने कहा कि दुनिया भगवान समझ  उन्हें अलमारी में बंद कर देगी। जबकि वह माखन-मिश्री खाने और मां की ममता में खुद को भिगोने आए हैं।

तब बाबा गर्ग बोल उठे कि इस बेटे के नाम कई होंगे। यह जैसे-जैसे कर्म करता जाएगा, वैसे-वैसे नाम होते  जाएंगे। क्योंकि इसने काला रंग पाया इसलिए इसका नाम कृष्ण होगा। मैया यशोदा बोलीं कि बाबा कोई आसान सा नाम बता दीजिए। गर्गाचार्य ने कहा कि मैया तुम इसे कान्हा, कन्हैया या किशन पुकार लेना।

(नोट- इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

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