हनुमान जी ने भी लिखी थी श्रीरामकथा, राम कथा को पत्थरों पर था उकेरा
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त केसरी नंदन हनुमान जी अपने प्रभु की भक्ति में इतने लीन थे कि उन्होंने राम कथा को पत्थरों पर उकेर दिया। हिमालय पर्वत पर हनुमान जी द्वारा उकेरी गई रामायण...
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त केसरी नंदन हनुमान जी अपने प्रभु की भक्ति में इतने लीन थे कि उन्होंने राम कथा को पत्थरों पर उकेर दिया। हिमालय पर्वत पर हनुमान जी द्वारा उकेरी गई रामायण को महर्षि वाल्मीकि ने श्रेष्ठ बताया।
वनपुत्र हनुमान आज भी पृथ्वी पर विराजमान हैं। उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है। यह भी मान्यता है कि हनुमान जी हमारे बीच इस धरती पर सशरीर मौजूद हैं। उनके संस्कृत में 108 नाम हैं और हर नाम का अर्थ उनके जीवन के अध्यायों का सार बताता है। हनुमान जी को कलयुग में सर्वशक्तिशाली देवता माना जाता है। वह अपने भक्तों की मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण करते हैं।
आपको पता है कि हनुमान जी ने भी रामायण की रचना की थी। कहा जाता है कि लंका विजय और भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद हनुमान जी हिमालय पर्वत पर चले गए और वहां श्रीराम की कथा को अपने नाखूनों से उकेरा। जब महर्षि वाल्मीकि अपने द्वारा रचित रामायण दिखाने के लिए हनुमान जी के पास गए तो उन्होंने यहां वर्णित रामायण को देखा। उनका मानना था कि हनुमान जी द्वारा रचित रामायण श्रेष्ठ है। इस पर हनुमानजी ने अपने द्वारा रचित रामायण को मिटा दिया। हनुमान जी की पूजा में काले या श्वेत वस्त्र धारण न करें। लाल या पीले वस्त्र ही हनुमान जी की पूजा के लिए उत्तम माने गए हैं। हनुमानजी के पूजन में पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। हनुमान जी की पूजा में चरणामृत का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि घर के मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति खंडित हो तो कभी भी उसकी पूजा नहीं करनी चाहिए।