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हनुमान जयंती:  हनुमान जी को सिंदूर का चोला क्यों चढ़ाया जाता है, जानें इसके पीछे की कहानी

हनुमान जयंती को लेकर मान्यता है कि इस दिन जो भक्त हनुमान जी की भक्ति और दर्शन करता है, उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं। इस दिन हनुमान जी को सिंदूर का चोला भी चढ़ाए जाने की परंपरा है। इसके पीछे एक पौराणिक...

हनुमान जयंती:  हनुमान जी को सिंदूर का चोला क्यों चढ़ाया जाता है, जानें इसके पीछे की कहानी
Anuradha Pandey  मुकेश ऋषि,नई दिल्लीTue, 27 Apr 2021 11:07 AM
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हनुमान जयंती को लेकर मान्यता है कि इस दिन जो भक्त हनुमान जी की भक्ति और दर्शन करता है, उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं। इस दिन हनुमान जी को सिंदूर का चोला भी चढ़ाए जाने की परंपरा है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा कही जाती है।

कथा है कि श्री राम लक्ष्मण और माता सीता जब वनवास से अयोध्या लौटे थे, तो उसके बाद एक दिन माता सीता के कक्ष में हनुमान जी पहुंचे। हनुमान जी ने देखा कि माता सीता अपनी मांग में लाल रंग की कोई चीज सजा रही थीं, उनके पूछने पर सीता माता ने बताया कि ये सिंदूर है। यह सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक होता है। इसे मांग में सजाने से उन्हें राम जी का स्नेह प्राप्त हुआ है। साथ ही प्रभु राम की आयु भी लंबी होगी। जैसे ही हनुमान जी ने यह सुना तो उन्होंने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया।

उन्होंने सोचा कि इससे प्रभु श्री राम की आयु और लंबी हो जाएगी। इससे वो उन्हें और भी ज्यादा स्नेह करने लगेंगे। सिंदूर लगाकर हनुमान जी प्रभु राम जी की सभा में चले गए। जब श्री राम ने उनके इस लाल वेश का कारण पूछा, तो उन्होंने माता सीता के कहे वचन बता दिए और कहा कि इस तरह हनुमान जी को भी प्रभु राम का स्नेह प्राप्त होता रहेगा व प्रभु राम की आयु भी लंबी होगी। यह सुन राम जी भाव विभोर हो गए। उन्होंने हनुमान जी को गले से लगा लिया। तब से ही हनुमान जी को सिंदूर से बेहद प्रेम है। इसीलिए हनुमत पूजा में उन्हें सिंदूर चढ़ाने की परंपरा भी है। 

हनुमान जयंती के दिन व्रत करने के साथ ही शुभ मुहूर्त में हनुमान जी के आगे चमेली के तेल का दीपक जलाएं, 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। हनुमान जी की आराधना करने से नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत बाधा, मरण आदि से पूर्णत मुक्ति मिलती है। हनुमान जी को पूजा में गुलाब की माला अवश्य अर्पित करें। एक शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें व इसके बाद आसन लगाकर वहीं पर हनुमान जी का ध्यान करें और बजरंग बाण का पाठ करें।                                

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