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आदिगुरु हैं महर्षि वेदव्यास, गुरु पूर्णिमा पर हुआ था जन्म

गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर माना गया है। गुरु ही हैं जो हमें अज्ञानता के अंधकार से उबारकर सही मार्ग की ओर ले जाते हैं। गुरु पूर्णिमा को लेकर मान्यता है कि इसी दिन आदिगुरु, महाभारत के रचयिता और चार...

आदिगुरु हैं महर्षि वेदव्यास, गुरु पूर्णिमा पर हुआ था जन्म
लाइव हिन्दुस्तान टीम,meerutTue, 16 Jul 2019 02:51 AM
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गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर माना गया है। गुरु ही हैं जो हमें अज्ञानता के अंधकार से उबारकर सही मार्ग की ओर ले जाते हैं। गुरु पूर्णिमा को लेकर मान्यता है कि इसी दिन आदिगुरु, महाभारत के रचयिता और चार वेदों के व्याख्याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ।

गुरु की कृपा के अभाव में इस संसार में कुछ भी संभव नहीं है। गुरु को साक्षात भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है। जिस प्रकार से वह जीव का सर्जन करते हैं, ठीक उसी प्रकार से गुरु शिष्य का सर्जन करते हैं। महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की। सभी 18 पुराणों के रचयिता भी महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। महर्षि वेदव्यास को ही वेदों को विभाजित करने का श्रेय दिया जाता है। इसी कारण उनका नाम वेदव्यास पड़ा। महर्षि वेदव्यास को आदिगुरु कहा जाता है। इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव को गुरु मानकर उनकी उपासना करें। गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अपने गुरु या उनके चित्र को समक्ष रखकर उपासना करें। भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था। वह संत कबीरदास के शिष्य थे। गुरु पूर्णिमा पर महर्षि वेद व्यास के रचित ग्रंथों का अध्ययन-मनन करें और दान अवश्य करें।

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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