गुप्त नवरात्रि संपन्न : दसवीं महाविद्या हैं मां कमला, धन लाभ के लिए करें इनकी पूजा
गुप्त नवरात्रि की दसवीं महाशक्ति और महाविद्या देवी कमला यानी लक्ष्मी जी हैं। संपन्नता, खुशहाली, वैभव, सौभाग्य, धन-यश की प्रतीक देवी कमला दसवें स्थान पर हैं। वह परम सौभाग्य प्रदात्री हैं। जो जातक उनकी...
गुप्त नवरात्रि की दसवीं महाशक्ति और महाविद्या देवी कमला यानी लक्ष्मी जी हैं। संपन्नता, खुशहाली, वैभव, सौभाग्य, धन-यश की प्रतीक देवी कमला दसवें स्थान पर हैं। वह परम सौभाग्य प्रदात्री हैं। जो जातक उनकी आराधना करता है, वह उनका घर धन और धान्य से परिपूर्ण कर देती हैं। नवरात्रि की तरह गुप्त नवरात्रि का समापन भी श्रीकमला की आराधना से होता है। कमल के पुष्प पर विराजमान देवी कमला का संबंध कमल से है। कमल पर पुष्प पर आसीन होने के कारण ही उनका नाम कमला पड़ा। देवी को कमल पुष्प प्रिय है। कमल कीचड़ और दलदल में खिलता है। यानी नाकारात्मक परिवेश होने पर भी सकारात्मकता के पुष्प खिल सकते हैं।
स्वच्छता और पवित्रता देवी भगवती को प्रिय है। उनका अलग से श्रीकुल है। उनको प्रकाश प्रिय है। अंधेरे से नफऱत है। वह नारायणी हैं। भगवान विष्णु के साथ गमन करती हैं। वह प्रसन्न होती हैं जो तिजोरी भर देती हैं। लेकिन यदि अप्रसन्न होती हैं तो अपनी बहन अलक्ष्मी के साथ वह रंक भी बना देती हैं। देवी की आराधना तीनों लोकों में दानव, दैत्य, देवता तथा मनुष्य सभी करते हैं।
देवी आदि काल से ही त्रि-भुवन के समस्त प्राणिओं द्वारा पूजित हैं। देवी की कृपा के बिना, निर्धनता, दुर्भाग्य, रोग इत्यादि होते हैं।
स्वरूप से देवी कमला अत्यंत ही दिव्य तथा मनोहर एवं सुन्दर हैं, इनकी प्राप्ति समुद्र मंथन के समय हुई थीं तथा इन्होंने भगवान विष्णु को पति रूप में वरन किया था। देवी कमला! तांत्रिक लक्ष्मी के नाम से भी जानी जाती हैं, श्री विद्या महा त्रिपुरसुन्दरी की आराधना कर देवी, श्री पद से युक्त हुई तथा महा-लक्ष्मी नाम से विख्यात भी। देवी कमला चतुर्भुजी हैं। उनका प्रादुर्भाव की कथा समुद्र मंथन से जुड़ती है। समुद्र मंथन के समय देवी भगवती अमृत कलश लेकर निकली। दीवाली इनका महापर्व है। दश महाविद्या में कमला देवी की आराधना के साथ गुप्त नवरात्रि संपन्न होते हैं। वस्तुत: वही अन्नपूर्णा हैं। सौभाग्य और सौंदर्य की उपमा उनसे ही दी जाती है।
मूल नाम : कमला।
प्रसिद्ध नाम : लक्ष्मी, कमलात्मिका, श्री
भैरव : श्री विष्णु
तिथि : अश्विन मास पूर्णिमास दीपावली
कुल : श्री कुल
दिशा : उत्तर-पूर्व।
स्वभाव : सौम्य
लक्षण : सुख, शांति, सौभाग्य, धन-यश की अधिष्ठात्री
शरीर सौष्ठव: सूर्य की कांति सदृश