राजस्थान की लोक देवी: अत्यंत करुणामयी देवी हैं करणी माता
उदयपुर का करणी माता मंदिर मचला मगरा नामक पहाड़ी पर स्थित है। इसका नाम श्री मंशापूरण करणी माता मंदिर है। मंदिर में करणी माता की पत्थर की मूर्ति स्थापित की गई है। इस प्रचीन मंदिर का साल 2017-18 में...
उदयपुर का करणी माता मंदिर मचला मगरा नामक पहाड़ी पर स्थित है। इसका नाम श्री मंशापूरण करणी माता मंदिर है। मंदिर में करणी माता की पत्थर की मूर्ति स्थापित की गई है। इस प्रचीन मंदिर का साल 2017-18 में जीर्णोद्धार किया गया है।
करणी माता दरअसल राजस्थान की लोकदेवी हैं। कहा जाता है कि इनकी पूजा से मन की इच्छाएं पूर्ण होती हैं। राजस्थानी में करणी माता भजन गाए जाते हैं। इन पर लोकगीत लिखे गए हैं। करणीमाता का जन्म जोधपुर के पास सुवाक ग्राम में विक्रम संवत् 1444 में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में कई चमत्कार किए, उसके बाद वे देवी के रूप में पूजी जाने लगीं। राजस्थान के लोग उन्हें अत्यंत करुणामयी देवी के रूप में जानते हैं।
करणी माता को चूहों की देवी के रूप में भी जाना जाता है। माता के मंदिर में बड़ी संख्या में सफेद चूहे पाले गए हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु उन चूहों का दर्शन करते हैं। मंदिर परिसर में एक शिव मंदिर का भी निर्माण कराया गया है। करणी माता मंदिर के परिसर से उदयपुर शहर का सुंदर नजारा दिखाई *देता है।
यहां दिन भर चहल-पहल रहती है। उदयपुर शहर के दूध तलाई से करणी माता मंदिर जाने के दो तरीके हैं। पहला चेयर लिफ्ट से तो दूसरा ट्रैकिंग करते हुए पैदल पहुंचना। काफी श्रद्धालु पैदल भी करणी माता के मंदिर तक पहुंचते हैं। करणी माता के लिए रोप-वे की शुरुआत 2008 में की गई थी। उदयपुर शहर में करणी माता के अलावा नीमच माता का मंदिर भी एक पहाड़ी पर है। पर वहां जाने के लिए आपको 500 से ज्यादा सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
कैसे पहुंचें : उदयपुर देश के कई प्रमुख शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा है। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, जयपुर सहित कई शहरों से यहां के लिए सीधी ट्रेनें हैं। साथ ही दिल्ली, जयपुर, इंदौर, अहमदाबाद और कोटा से उदयपुर के लिए बसें उपलब्ध हैं। नजदीकी हवाई अड्डा महाराणा प्रताप एयरपोर्ट है, जो शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर है।