Ganga Saptami 2019: इस दिन भगवान शिव की जटा से धरती पर आईं गंगा
वैशाख माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी के दिन परमपिता ब्रह्मा के कमंडल से मां गंगा अवतरित हुईं। इस तिथि को ही मां गंगा भगवान शिव की जटाओं में पहुंचीं। इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन...
वैशाख माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी के दिन परमपिता ब्रह्मा के कमंडल से मां गंगा अवतरित हुईं। इस तिथि को ही मां गंगा भगवान शिव की जटाओं में पहुंचीं। इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है। समस्त पापों का क्षय होता है। इस दिन दान का विशेष महत्व है।
मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के पैर में पैदा हुई पसीने की बूंद से मां गंगा का जन्म हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार वामन रूप में बलि से संसार को मुक्त कराने के बाद भगवान ब्रह्माजी ने भगवान विष्णु के चरण धोए और इस जल को अपने कमंडल में भर लिया। इसी कमंडल के जल से मां गंगा का जन्म हुआ। गंगाजल को अमृत समान माना गया है। ऋषि भागीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने पृथ्वी पर आना स्वीकार किया। भागीरथ ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह गंगा का वेग कम करें जिससे कि धरती को कोई नुकसान न पहुंचे। गंगा सप्तमी के दिन ही मां गंगा, भगवान शिव की जटा में समाईं और उनका वेग कम हुआ। भगवान शिव की जटा से होते हुए मां गंगा धरती पर अवतरित हुईं। इस तिथि पर चित्रगुप्त प्राकट्योत्सव भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इस तिथि पर यमराज के सहयोगी चित्रगुप्त प्रकट हुए थे। भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्माजी के अंश से हुआ है। चित्रगुप्त मनुष्यों के कर्मों का हिसाब रखते हैं। गंगा जयंती के दिन गंगा में स्नान करने से सभी दुख-क्लेश दूर हो जाते हैं। अगर गंगा में स्नान न कर सकें तो गंगा जल की कुछ बूंदें पानी में डालकर स्नान करें। इस दिन किया हुआ स्नान, दान तथा उपवास अनंत फलदायक है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।