गंगाजी में लगाएं दस बार डुबकी, मिलेगी दस पापों से मुक्ति
गंगा दशहरा, हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्योहार है। मान्यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन, हस्त नक्षत्र में बुधवार के दिन मां गंगा, स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। यह तिथि घोर...
गंगा दशहरा, हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्योहार है। मान्यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन, हस्त नक्षत्र में बुधवार के दिन मां गंगा, स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। यह तिथि घोर पापों को नष्ट करने वाली मानी गई है। इस दिन गंगा जी के घाटों पर मेले लगते हैं। इस दिन जप-तप, दान, व्रत, उपवास और गंगाजी की पूजा से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को संवत्सर का मुख कहा गया है। इसलिए इस दिन दान और स्नान का अत्यधिक महत्व है। गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान कर दान और तर्पण करने से जाने-अनजाने में किए गए दस पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। दस पापों के हरण के कारण ही इस तिथि का नाम गंगा दशहरा पड़ा। इन दस पापों में तीन पाप कायिक, चार पाप वाचिक और तीन मानसिक होते हैं। इस दिन सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने की परंपरा रही है। इस दिन दान किए जाने वाली वस्तु की संख्या दस होनी चाहिए। विधि-विधान से गंगा मां का पूजन कर दस सेर तिल, दस सेर जौ और दस सेर गेहूं दस ब्राह्मणों को दान करना चाहिए। गंगा में स्नान के समय दस बार डुबकी लगानी चाहिए। इस दिन आम खाने और आम दान करने का भी महत्व माना जाता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।