Ganesh Jayanti 2023: गणेश जयंती आज, जानें पूजन का शुभ मुहूर्त, भोग, महत्व, व्रत कथा व सबकुछ
Ganesh Jayanti 2023 Katha: माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती मनाई जाती है। इस साल यह तिथि 25 जनवरी 2023, बुधवार को है। जानें माघ गणेश चतुर्थी से जुड़ी सभी खास बातें-

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Ganesh Jayanti 2023 Bhog, Muhurat and Vrat Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती मनाई जाती है। इस साल गणेश जयंती 25 जनवरी 2023, बुधवार को है। गणेश जयंती को माघ विनायक चतुर्थी, वरद चतुर्थी व वरद तिल कुंद चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं। इस दिन भगवान श्रीगणेश की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत करना अति शुभ होता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल गणेश जयंती पर कई शुभ संयोग बनने से इस दिन का महत्व भी बढ़ रहा है। बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित माना गया है। बुधवार के दिन ही गणेश जयंती होना अति शुभ माना जा रहा है।
गणेश जयंती 2023 शुभ मुहूर्त-
चतुर्थी तिथि आरंभ- 24 जनवरी, दोपहर 03:22 मिनट से। चतुर्थी तिथि समाप्त- 25 जनवरी, दोपहर 12: 34 मिनट तक। उदया तिथि के अनुसार गणेश जयंती 25 जनवरी, बुधवार को है। गणेश जयंती पर श्रीगणेश की पूजन का उत्तम मुहूर्त सुबह 11 बजकर 34 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
पूजा सामग्री लिस्ट-
भगवान गणेश की प्रतिम, लाल कपड़ा, दूर्वा, जनेऊ, कलश, नारियल, पंचामृत, पंचमेवा, गंगाजल, रोली, मौली लाल
भोग-
भगवान श्रीगणेश की पूजा के समय ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें। प्रसाद के रूप में मोदक और लड्डू वितरित करें।
गणेश जयंती पूजा विधि-
गणेश जयंती के दिन सुबह स्नान-ध्यान करके गणपति के व्रत का संकल्प लें। इसके बाद दोपहर के समय गणपति की मूर्ति या फिर उनका चित्र लाल कपड़े के ऊपर रखें। फिर गंगाजल छिड़कने के बाद भगवान गणेश का आह्वान करें। भगवान गणेश को पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और दूर्वा (घास) चढ़ाए। इसके बाद गणपति को मोदक लड्डू चढ़ाएं, मंत्रोच्चार से उनका पूजन करें। गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें।
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गणेश जयंती पूजा विधि-
शिव पुराण में कथा है कि गणेश जी का जन्म पार्वती जी के उबटन से हुआ था और फिर शिव जी से उनके अनजाने में हुए युद्ध के कारण उनका शीष गज का हुआ। गणेश जी को लेकर यह लोक में सबसे प्रचलित कथा है। वहीं स्कंद पुराण गणेश जी के जन्म को राजस्थान स्थित पर्वत से जोड़ता है। इसके स्कंद अर्बुद खंड में कथा है कि माता पार्वती को शिव जी से मिले पुत्र प्राप्ति के वरदान के बाद अर्बुद पर्वत, जो अब का माउंट आबू है, पर गणेश अवतरण हुआ।
वहीं गणेश चालीसा में गणेश जी के जन्म और उनके वर्तमान स्वरूप को लेकर एक अन्य कथा मिलती है। इसके अनुसार, जब माता पार्वती को वरदान के अनुसार अत्यंत बुद्धिमान व तेजस्वी बालक प्राप्त हुआ, तो उसे देखने सभी देव आए। शनि महाराज भी पहुंचे, किंतु वे बालक को अपनी दृष्टि से बचाने के लिए देखने नहीं जा रहे थे। पर, माता पार्वती के आग्रह पर उन्होंने जब उसे प्यार से नजर भर कर देखा, उस बालक का शीष आकाश में चला गया। हाहाकार मचने पर विष्णु के वाहन गरुड़ हाथी का सिर लेकर पहुंचे और बालक को लगाया गया और शिव जी ने उसमें फिर से प्राण फूंके। ये गणेश जी के उद्भव की रोचक लोक मान्यता की कथाएं हैं, किंतु वे आरंभ-अंत से परे देवता हैं, तभी तो तुलसीदास जी ने भी इसमें संशय ना करने को कहा है।