Ganesh Chaturthi 2020: गणेश चतुर्थी पर मराठी तरीके से करें बप्पा का आह्वान, पढ़ें ये आरती और पूजा के नियम
Ganesh Chaturthi Marathi Arti 2020: आज देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जा रहा है। हर साल गणेश चतुर्थी का उत्सव भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। इस साल यह उत्सव आज यानी 22...
Ganesh Chaturthi Marathi Arti 2020: आज देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जा रहा है। हर साल गणेश चतुर्थी का उत्सव भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। इस साल यह उत्सव आज यानी 22 अगस्त को मनाया जा रहा है। 10 दिन चलने वाले इस उत्सव में गणपति की स्थापना और उनकी पूजा-पाठ का विशेष महत्व बताया जाता है। महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी को प्रमुख त्योहार के रुप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि सबसे पहले गणेशोत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र से ही हुई थी। तो आइए जानते हैं बप्पा को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा करते समय किन नियमों का रखें ध्यान और कैसे करें मराठी तरीके से करें बप्पा का आह्वान।
गणेश चतुर्थी पर गणपति को क्या चढ़ाएं?
गणपति की स्थापना करने के बाद उनकी प्रतिमा पर सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन,मौली आदि चढाकर षोडशोपचार के साथ उनका पूजन करे। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। गणेश प्रतिमा के पास पांच लड्डू रखकर बाकी बचे लड्डू ब्राह्मणों और गरीबों में बांट दें। गणेश जी की पूजा मध्याह्न यानि दोपहर के समय करनी चाहिए।
गणेश चतुर्थी पर दूध से बने पदार्थों को न करें सेवन-
गणेश चतुर्थी के दिन शाम को गाय के बछडे का पूजन और जौ व सत्तू का भोग लगाने का विशेष महत्व बताया जाता है। इस दिन गेहूं एवं चावल, गाय के दूध और दूध से बने पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन गाय के दूध पर केवल बछड़े का ही अधिकार होता है।
गणेश चतुर्थी पर पढ़ें ये मराठी आरती-
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची |
नुरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची |
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची |
कंठी झळके माळ मुक्ताफळाची || १ ||
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती |
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ||
रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा |
चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा |
हिरे जडित मुकुट शोभतो बरा |
रुणझुणती नुपुरे चरणी घागरिया || 2 ||
लंबोदर पितांबर फनी वरवंदना |
सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना |
दास रामाचा वाट पाहे सदना |
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवंदना |
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती |
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती || ३ ||
।। श्री गणेशाय नमः ।।