इस साधना से ऋषि विश्वामित्र ने कर दी थी नई सृष्टि की रचना
मां दुर्गा ही इस संसार में शक्ति का संचार करती हैं। वर्ष में दो बार ऐसे नवरात्र भी आते हैं जिनमें मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। इन नवरात्र में माता की आराधना गुप्त रूप से की जाती...
मां दुर्गा ही इस संसार में शक्ति का संचार करती हैं। वर्ष में दो बार ऐसे नवरात्र भी आते हैं जिनमें मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। इन नवरात्र में माता की आराधना गुप्त रूप से की जाती है, इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्र भी कहा जाता है। आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में आने वाले नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इनके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है। तंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व माना जाता है।
कहा जाता है कि गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना कर ऋषि विश्वामित्र अद्भुत शक्तियों के स्वामी बन गए। उन्होंने नई सृष्टि की रचना कर दी। लंकापति रावण के पुत्र मेघनाद ने भी अतुलनीय शक्तियां पाने के लिए गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की उपासना की। ये दस महाविद्याएं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी हैं।
इस दौरान बगुलामुखी माता की विशेष आराधना की जाती है। गुप्त नवरात्र में माता की आराधना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यदि साधना सही विधि से न की जाए तो इसका प्रतिकूल प्रभाव भी साधक पर पड़ सकता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।