chaiti chhath 2019: नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय चैती छठ अनुष्ठान शुरू
सुन लऽ अरजिया हमार हे छठी मैया...राजधानी सहित पूरे प्रदेश में मंगलवार से सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाए से शुरू हुआ। शहर के गंगा घाटों पर छठ गीत गाते हुए नहाय-खाए के...
सुन लऽ अरजिया हमार हे छठी मैया...राजधानी सहित पूरे प्रदेश में मंगलवार से सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाए से शुरू हुआ। शहर के गंगा घाटों पर छठ गीत गाते हुए नहाय-खाए के लिए व्रतियों और उनके परिजनों का जुटान हुआ।
श्रद्धालुओं ने गंगा घाटों, घरों और नदी-तालाबों पर स्नान करके लौकी की सब्जी और अरवा चावल ग्रहण करके छठ व्रत का संकल्प लिया। व्रतियों का 36 घंटे का निराहार-निर्जला व्रत बुधवार को खरने के बाद शुरू होगा। गुरुवार को सायंकालीन व शुक्रवार को उदयीमान सूर्य को प्रात:कालीन अर्घ्य देने के बाद व्रती पारण करके चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन करेंगे। धार्मिक मान्यता है कि छठ महापर्व में नहाए-खाय से पारण तक व्रतियों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है। बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश में छठ महापर्व पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। सूबे में चैत माह में भी काफी तादाद में श्रद्धालु छठ महापर्व करते हैं।
गंगा घाटों पर छठी मैया और हर-हर गंगे के जयकारे
मंगलवार की सुबह से ही गंगा घाटों का नजारा बदला हुआ था। छठ व्रती व उनके परिजन छठ के पारंपरिक गीत दर्शन देहू न आपार हे छटी मैया...उगऽ हे सूरजदेव अरघ के बेरिया... गाते हुए सुबह से ही गंगा घाटों पर पहुंचने लगे थे। गांधी घाट, काली घाट, कदम घाट, दीघा पाटीपुल घाट, कुर्जी घाटों पर व्रतियों और उनके परिजनों का जमावड़ा लगा।
घाटों पर व्रतियों ने पहले दातून किए और अर्घ्य, खरने के प्रसाद बनाने के लिए बर्तनों की साफ-सफाई की। घाटों पर प्रसाद के लिए गेहूं भी धोए और सुखाए गए। फिर हर हर गंगे और हे छठी मैया के जयकारे लगाते हुए गंगा में आस्था की डुबकी लगायी। खरना और अर्घ्य के प्रसाद के लिए श्रद्धालुओं ने टिन और डिब्बों में गंगाजल भी भरे। पटना के आसपास से आए श्रद्धालुओं ने घाटों पर ही लौकी की सब्जी, चने की दाल और अरवा चावल बनाकर भगवान भास्कर को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किये।
दूसरी ओर भारी संख्या में व्रतियों ने अपने-अपने घरों में अरवा चावल, चने की दाल व कद्दू की सब्जी बनाकर भोजन किया। व्रतियों व उनके परिजनों ने नहाए-खाए के साथ ही खरना व सायंकालीन, प्रात:कालीन अर्घ्य की भी तैयारी की। घरों की छतों पर खरने के प्रसाद के लिए गेहूं साफ करके सुखाए गए। गेहूं के पूरी तरह से सूखने तक व्रती व अन्य सदस्य वहीं बैठे रहे।
बुधवार को खरना, सायंकालीन अर्घ्य 11 को
छठ महापर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन बुधवार को खरना होगा। व्रती स्नान-ध्यान करने के बाद सायंकाल में भगवान भास्कर को दूध-गुड़ की खीर, रोटी का भोग लगाकर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करेंगे। खरने के प्रसाद का काफी महत्व है। चरक संहिता को उद्धृत करते हुए ज्योतिषाचार्य पीके युग ने बताया कि मान्यता है कि ईख का कच्चा रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंख की पीड़ा, शरीर के दाग-धब्बे समाप्त हो जाते हैं। वहीं गुरुवार की शाम भगवान भास्कर को व्रती सायंकालीन अर्घ्य प्रदान करेंगे।
आरोग्य की प्राप्ति व संतान के लिए व्रत
सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य व संतान के लिए रखा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था। उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। भगवान भास्कर से इस रोग की मुक्ति के लिए उन्होंने छठ व्रत किया था। स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा है। वर्षकृत्यम में भी छठ की चर्चा है।