सक्सेस मंत्र: कुछ अलग करने की चाह ही देती है आपके हौंसलों को नई उड़ान, सीखें इस कहानी से
आपने अक्सर लोगों को यह कहते सुना होगा कि अगर आपके हौंसले बुलंद हैं तो आपको लक्ष्य तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता। जी हां ऐसा ही कुछ देखने को मिला है देश की पहली नौसेना महिला पायलट बनी शिवांगी के केस...
आपने अक्सर लोगों को यह कहते सुना होगा कि अगर आपके हौंसले बुलंद हैं तो आपको लक्ष्य तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता। जी हां ऐसा ही कुछ देखने को मिला है देश की पहली नौसेना महिला पायलट बनी शिवांगी के केस में। आइए जानते हैं अपने इस मुश्किल लक्ष्य को शिवांगी ने कैसे इती आसानी से हासिल कर लिया। आखिर क्या था उनका सफलता हासिल करने के लिए सक्सेस मंत्र।
आज बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली सब लेफ्टिनेंट शिवांगी स्वरूप नौसेना में पहली महिला पायलट बनने का गौरव हासिल कर चुकी हैं। लेकिन सफलता का उनका यह सफर इतना आसान भी नहीं था।
शिवांगी स्वरूप ने एक बार बचपन में अपने घर के नजदीक एक हेलीकॉप्टर को उतरते हुए देखा और मन ही मन ठान लिया कि वह भी एक दिन दुनिया को पायलट बनकर दिखाएंगी। लंबे समय से अपने सपने को पूरा करने की चाह रखने वाली शिवांगी का कहना है कि वो अब तीसरे चरण का प्रशिक्षण पूरा करने के लिए काम करेंगी।
शिवांगी के पिता सरकारी स्कूल में अध्यापक और मां गृहणी हैं। पिता ने बताया कि शिवांगी बीटेक कर रही थी। तभी नेवी के अधिकारी उसके कॉलेज गए थे। वह नेवी से इतना प्रभावित हुई कि इस क्षेत्र में जाने का फैसला कर लिया। वे कहते हैं- मैं सभी पैरेंट्स से कहना चाहता हूं कि बेटा हो या बेटी सभी को सपोर्ट करें। करना तो बच्चों को ही होता है, लेकिन माता-पिता का सपोर्ट बहुत जरूरी है। सेना में जाने के लिए बेटियों को आगे आना चाहिए। मैंने बेटी को कभी कमजोर नहीं समझा।
वहीं शिवांगी की मां का कहना है कि 'मेरी बेटी शुरू से कुछ अलग करना चाहती थी। वह चाहती थी कि कुछ ऐसा करूं कि दूसरी लड़कियां प्रेरणा लें। आज उसने अपनी मंजिल पा ली है'।
इन्हें भी मिला ऐसा गौरव
इसी साल वायुसेना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कांत पहली महिला पायलट बनीं थीं। भावना को लड़ाकू जेट विमान उड़ाने की पात्रता प्राप्त है। वहीं, कराबी गोगाई नौसेना की पहली महिला डिफेंस अटैची हैं। असिस्टेंट लेफ्टिनेंट कमांडर गोगाई अगले माह रूस में तैनात की जाएंगी। वे कर्नाटक के करवार बेस पर रूसी भाषा में कोर्स कर रही हैं। वे युद्धपोत के निर्माण और उनकी मरम्मत में माहिर मानी जाती हैं।
इस स्टोरी से मिलती है ये 3 सीखें
-बेटी, बेटों से कम नहीं, पैरेंट्स को बेटों की तरह अपनी बेटियों को भी पूरा सपोर्ट करना चाहिए ।
-व्यक्ति अगर ठान लें तो कुछ भी हासिल करना मुश्किल नहीं है।
-हर काम को चुनौती के रूप में देखने से ही आपको सफलता मिलेगी।