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यहां मकर संक्रांति पर मनाया जाता है टुसु पर्व

टुसु पर्व झारखंड के प्रमुख त्योहारों में से एक है और बड़े ही धूमधाम व उल्लास के साथ मनाया जाता है। देश में अन्य जगह इस त्योहार को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। टुसु पर्व पूरे महीने ...

यहां मकर संक्रांति पर मनाया जाता है टुसु पर्व
लाइव हिन्दुस्तान टीम,मेरठ Thu, 17 Jan 2019 02:57 PM
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टुसु पर्व झारखंड के प्रमुख त्योहारों में से एक है और बड़े ही धूमधाम व उल्लास के साथ मनाया जाता है। देश में अन्य जगह इस त्योहार को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। टुसु पर्व पूरे महीने  चलने वाला पर्व है। पर्व के अंतिम चार दिन में टुसु बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

झारखंड में एक कहावत है “बारह मासे, तेरह पर्व’ यानि बारह महीने में तेरह पर्व। माना गया है कि सभी पर्व प्रकृति और कृषि से ही संबंधित हैं। टुसु/बाउड़ि पर्व तेरह पर्व में अंतिम पर्व माना जाता है।

अगहन पूर्णिमा से लेकर पूष पूर्णिमा तक टुसु का पर्व चलता है। अगहन पूर्णिमा के दिन ही ‘ढकनी/सौरा स्थापना’ कर रोज शाम गांव की औरतें और लड़कियां टुसु की आराधना करते हुए गीत गाती हैं। ये पूरा एक महीना चलता है, इस दौरान पूरा माहौल संगीतमय हो जाता हैं।ङ्घआखरी चार दिन  (अंग्रेजी कलेंडर के हिसाब से) 11 जनवरी को ‘चावल धोवन व चावल भिगा’, 12 जनवरी को को ‘गुंडी कुटा, 13 जनवरी को ‘बाउड़ि’, 14 जनवरी (15 जनवरी) को ‘दही-चीरा, मकर’और इसी दिन ही ‘टुसु’ का भसान/विसर्जन होता है।

ये यही काल होता है जब सूर्य देव के उत्तरायण होते ही सभी सृष्टि में सृजन का आरंभ होता है। शादी-ब्याह का शुरुआत भी यहीं से। नवीन धान में अगले धान को सृजित करने की शक्ति का प्रवेश भी इसी के बाद आरंभ हो जाता है। जो कि अगली बारिश और मिट्टी का संपर्क पाते ही प्रस्फुटित हो जाती है और मानव कल्याण के साथ-साथ ही समस्त जीव कल्याण में अपना अमूल्य योगदान देती हैं।

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