नवरात्र 2017: पहासू के मठ मंदिर में हर मनोकामना होती है पूरी
बुलंदशहर के पहासू में मां अंबे के अलग-अलग नौ रूपों को देखने के लिए मठ मंदिर पर नवरात्र ही नहीं बल्कि सामान्य दिनों में भी श्रद्धालुओं का तांता लग रहता है। 200 वर्षों से श्रद्धालओं ने मां के समक्ष...
बुलंदशहर के पहासू में मां अंबे के अलग-अलग नौ रूपों को देखने के लिए मठ मंदिर पर नवरात्र ही नहीं बल्कि सामान्य दिनों में भी श्रद्धालुओं का तांता लग रहता है। 200 वर्षों से श्रद्धालओं ने मां के समक्ष अखंड ज्योति जला रखी है। ऐसा माना जाता है कि इसकी रोशनी से भक्तों के दुख-दर्द दूर होते हैं। कहा जाता है कि चमत्कारी बाबा मंदिर परिसर में बने कुए का पानी पिलाकर दुखियों के दुख दूर करते थे।
पहासू-छतारी मार्ग पर ईदगाह के ठीक सामने एक कुआं हुआ करता था। जहां पर एक बाबा ने समाधि ली। बताया जाता है कि बाबा लोगों को कुए का पानी पीने के लिए दिया करते थे। इसी पानी से लोगों को आराम भी मिलने लगा, इसके बाद से लोग उन्हें चमत्कारी बाबा के नाम से पुकारने लगे। करीब 200 वर्ष पहले बाबा ने अंबे मां का मंदिर बनाने की ठान ली और अथक प्रयासों के बाद मां अंबे का मठ मंदिर बनवाया। यहां देवी की नौ अलग-अलग रूपों वाली विशाल मूर्ति बनी हैं जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र हैं।
चमत्कारी बाबा ने मंदिर में अखंड ज्योति शुरू की थी जो आज भी जलती है। नवरात्र के साथ-साथ मां के दर्शन के लिए सामान्य दिनों में भी यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। दो वर्ष पहले श्रद्धालुओं ने इसका पुन: निर्माण कराकर विशाल रूप दिया।
पहासू के राधेलाल सारस्वत ने बताया कि यह मंदिर लगभग 200 वर्ष पुराना है। उनके पुर्खों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण चमत्कारी बाबा ने कराया था। बताया कि मंदिर में दूर-दराज से लोग अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कराने के लिए आते हैं।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।