ईद-उल-जुहा : दूसरों की मदद का पैगाम देता है यह त्योहार
देशभर में बुधवार को ईद-उल-अजहा का त्योहार मनाया जाएगा। इस्लाम धर्म में इसे कुर्बानी के पर्व के तौर पर मनाया जाता है। कुर्बानी के पीछे मकसद यह है कि लोग अपने समाज के कमजोर और गरीब तबके के लोगों के लिए...
देशभर में बुधवार को ईद-उल-अजहा का त्योहार मनाया जाएगा। इस्लाम धर्म में इसे कुर्बानी के पर्व के तौर पर मनाया जाता है। कुर्बानी के पीछे मकसद यह है कि लोग अपने समाज के कमजोर और गरीब तबके के लोगों के लिए अपनी प्यारी और बहुमूल्य चीज तक कुर्बान कर दें। यह दूसरों की मदद के लिए प्रेरित करने वाला त्योहार है।
इस त्योहार का मकसद आपस में प्यार और भाईचारे का संदेश देना है। त्योहार मनाते वक्त नीयत और इरादे हमेशा नेक रखने चाहिए। बकरीद के दिन जरूरतमंदों में कुर्बान किए गए जानवर का मीट बांटा जाता है। आर्थिक रूप से कमजोर लोग कुर्बानी देने में समर्थ नहीं होते हैं, इसलिए उन्हें कुर्बानी के इस भाव में अपने साथ शामिल किया जाता है। इस्लामिक मान्याओं के मुताबिक, हजरत इब्राहिम को अल्लाह ने हुक्म दिया था कि वह अपनी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी दें। एक अन्य मान्यता है कि पैगंबर इब्राहिम ने सपने में देखा कि अल्लाह उन्हें ऐसा करने का आदेश दे रहे हैं कि वह अपनी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी दें। सपने में देखी बात को अल्लाह का हुक्म मानकर पैगंबर अपने बेटे की कुर्बानी देने चले जाते हैं। हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली। उनके बेटे की कुर्बानी न होकर भेड़ की कुर्बानी हो जाती है। अल्लाह ऐसा कर पैगंबर इब्राहिम की परीक्षा ले रहे थे, जिसमें पैगंबर इब्राहिम पास हुए।