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Dussehra 2022 : बेहद महत्वपूर्ण होता है दशहरे का दिन, इस मंत्र का करें जप

Dussehra 2022 : दशहरा (विजयादशमी) आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिए इस दशमी को 'विजया दशमी' के नाम से जाना जाता है।

Dussehra 2022 : बेहद महत्वपूर्ण होता है दशहरे का दिन, इस मंत्र का करें जप
Yogesh Joshiलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीWed, 05 Oct 2022 05:06 AM

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दशहरा (विजयादशमी) आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिए इस दशमी को 'विजया दशमी' के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष दशहरा पर्व 5 अक्टूबर (बुधवार) को मनाया जाएगा। दशहरा वर्ष की तीन अत्यंत शुभ तिथियों में से एक है्र, अन्य दो चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा तिथि हैं।

दशहरा एक अबूझ मुहूर्त है यानि इसमें बिना मुहूर्त देखे शुभ कार्य किए जा सकते हैं। दशहरे के दिन शस्त्र पूजा की भी मान्यता है। कहा जाता है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है, उसमें विजय प्राप्त होती है। धार्मिक संस्थान 'विष्णुलोक' के ज्योतिषविद् पंडित ललित शर्मा ने बताया कि दशहरा पर्व दस प्रकार के पाप- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सप्रेरणा प्रदान करता है। विजयादशमी के दिन भगवान श्रीराम का विधिवत् पूजन करना चाहिए।

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यह रहेगा मुहूर्त

पंडित ललित शर्मा ने बताया कि दशमी तिथि 4 अक्टूबर दोपहर 2.20 बजे से 5 अक्टूबर दोपहर 12 बजे तक रहेगी। श्रवण नक्षत्र 4 अक्टूबर को रात्रि 10.51 बजे से 5 अक्टूबर को रात्रि 9.15 बजे तक रहेगा। विजयादशमी पूजन का शुभ मुहूर्त प्रातः 7.44 बजे से प्रातः 9.13 बजे तक, इसके बाद प्रात: 10. 41 बजे से दोपहर 2.09 बजे तक रहेगा। इसमें भी विजय मुहूर्त दोपहर 2.07 बजे से दोपहर 2.54 बजे तक रहेगा। हालांकि राहु काल दोपहर 12 बजे से 1.30 बजे तक रहेगा। राहु काल में किए गए कार्यों का शुभ फल प्राप्त नहीं होता, अतः राहुकाल में शुभकार्य नहीं करने चाहिए।

इस मंत्र का करें जाप

  • ॐ दशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्

किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण

यह पर्व किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। भारत कृषि प्रधान देश है। जब किसान अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है तो उसके उल्लास और उमंग की सीमा नहीं रहती और इस प्रसन्नता के अवसर पर वह भगवान की कृपा को मानता है और उसे प्रकट करने के लिए के लिए वह उनका पूजन करता है।

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