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शनि अमावस्या को करें ये उपाय, प्रसन्न होंगे शनिदेव

शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। ‌शनि अमावस्या के दिन सूर्य और उसके पुत्र शनि का मिलन होता है। सौर मास के अनुसार अमावस्या को सूर्य अपनी पूर्ण कांति से चमकते हैं। शनिवार के...

Praveen ज्‍योत‍िषाचार्य पं.श‍िवकुमार शर्मा, मेरठ Fri, 12 March 2021 11:30 PM
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शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। ‌शनि अमावस्या के दिन सूर्य और उसके पुत्र शनि का मिलन होता है। सौर मास के अनुसार अमावस्या को सूर्य अपनी पूर्ण कांति से चमकते हैं। शनिवार के दिन अमावस्या का दुर्लभ योग वर्ष में एक दो बार ही आता है। किसी वर्ष तो यह आता भी नहीं है। इस दुर्लभ योग में शनि को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं। जिनका प्रभाव अन्य दिनों की अपेक्षा कई गुना मिलता है। जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली के अनुसार शनि की महादशा, अंतर्दशा, साढ़ेसाती अथवा ढैया चल रही है और शनि अपनी इस अवस्था में किसी व्यक्ति को आर्थिक, सामाजिक,शारीरिक अथवा राजनीतिक कष्ट पहुंचा रहे हों तो कुछ उपायों से उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। वैसे शनिदेव किसी को अनावश्यक कष्ट नहीं पहुंचाते  हैं। वह तो व्यक्ति का कर्म फल ही होता है जिसके कारण वह अपने कर्मों का फल भोगता  है। शनि सब ग्रहों  में निष्पक्ष न्यायकारी माने गए है  इसलिए इस दशा में व्यक्तियों को अपने अच्छे अथवा बुरे प्रारब्ध का भुगतान करना पड़ता है। शनि की महादशा में कई बार देखा गया है कि लोग फर्श से अर्श पर भी पहुंच जाते हैं और कई अर्श से फर्श पर। शनि के अनिष्टता से बचने के लिए शनि अमावस्या को निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं।


- प्रातःकाल सूर्य उदय होने से पहले पीपल के वृक्ष के नीचे जल में दूध, काले तिल और मीठा डालकर जल चढ़ाएं और ओम् शं शनैश्चराय नमः का जाप करते हुए 11 परिक्रमा करें।
- शनि अमावस्या से आरंभ करके 43 दिन तक सूर्यास्त के पश्चात पीपल के नीचे दीपक जलाएं और निरंतर सात परिक्रमा करें। इससे शनि की अनिष्टता दूर होकर  लाभ के अवसर मिलते हैं। स्वास्थ्य ठीक रहता है और परिवार में प्रेम और स्नेह बना रहता है।

- प्रात:काल स्नान के जल में कुछ दाने काले तिल के डालें और स्नान करते हुए शनिदेव का ध्यान करें।  ऐसा हरेक शनिवार करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
- शनि अमावस्या को एक लोहे की अथवा स्टील की कटोरी में तेल भरकर उसमें बिना गिने सिक्के डालें और परिवार के सभी सदस्य उसमें अपना चेहरा देखें। चेहरा देखने के बाद उसे किसी पडिया अथवा भिखारी को दान कर दें। इससे शारीरिक कष्ट की निवृक्ति होती है।
-यदि कोई व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती अथवा महादशा में शारीरिक कष्ट पा रहा है तो शनि अमावस्या को उसके वजन के बराबर तुलादान (सतनजा) दान करें। ऐसा करने से शारीरिक कष्ट का निवारण होने लगता है।
- शनि अमावस्या के दिन से शनि स्तोत्र अथवा शनि कवच का नियमित रूप से पूजा के समय पाठ किया करें। घर से क्लेश, गरीबी और रोग भाग जाएगा। ऐसा शास्त्रों में वर्णित है।

- शनि का प्रभाव नाभि क्षेत्र से लेकर पैरों के घुटनों तक होता है। यदि किसी पुरुष अथवा महिला के पैरों में दर्द रहता है अथवा घुटनों में दर्द होता है तो शनिवार को सात लोहे की कटोरी में थोड़ा तेल रखें और अपनी एड़ी के नीचे दबाएं। फिर थोड़ा थोड़ा तेल लेकर घुटनों से लेकर टखनों तक धीरे धीरे तेल की मालिश करें और ऐसा 20 मिनट से 30 मिनट करें। तत्पश्चात उस कटोरी एवं बचे हुए तेल को किस साफ स्थान पर छोड़ दें या किसी को दान कर दें।
- शनि अमावस्या को शनि के तांत्रिक मंत्र  ओम् प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नमः  कम से कम 23 हजार अथवा 92 हजार जाप करने से शनि कृत कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- शनि अमावस्या को किसी गरीब, मजदूर, श्रमिक अथवा असहाय  व्यक्ति को भोजन कराने एवं वस्त्र दान करने से शनि कृत पीड़ा  से मुक्ति मिलती है। ‌शनि प्रसन्न होकर आपके घर में सुख समृद्धि प्रदान करते हैं।
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।) 

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