जन्माष्टमी पर करें श्रीमद्भागवत गीता का पाठ
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 14 अगस्त, सोमवार को ही श्रेष्ठ है। चूंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की अर्द्धरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत के लिए...
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 14 अगस्त, सोमवार को ही श्रेष्ठ है। चूंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की अर्द्धरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत के लिए अर्द्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी ही श्रेष्ठ मानी जाती है।
वरिष्ठ ज्योतिषविद् और ज्योतिष संस्था विष्णुलोक, मुजफ्फरनगर के संस्थापक पंडित विष्णु शर्मा का कहना है कि सप्तमी 14 अगस्त को शाम 7 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी और अष्टमी प्रारंभ हो जाएगी। 15 अगस्त को अष्टमी 5 बजकर 40 मिनट पर समाप्त हो जाएगी, जिसमें अष्टमी वाली रात्रि का अभाव है। इसलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 14 अगस्त को ही श्रेष्ठ है।
व्रतधारी को चाहिए कि वह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करे। ऊं भगवते वासुदेवाय का मंत्रोच्चार करें। भगवान श्रीकृष्ण को हिंडोले में झुलाएं और पंचामृत से व्रत खोलें। 14 अगस्त को रात्रि 11 बजकर 30 मिनट पर व्रत खोल लें। शास्त्रों में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म को अन्य अवतारों की अपेक्षा अधिक महत्व दिया गया है। अन्य सभी अवतार किसी एक उद्देश्य के लिए अवतरित हुए, जबकि श्रीकृष्ण 16 कलाओं से संपन्न थे। उन्होंने गऊ, साधु-संत, मानवजाति के उद्धार के लिए जन्म लिया।