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सक्सेस मंत्र : नाकामी से घबराकर ठहरना समझदारी नहीं

प्रिया को हमेशा लगता था कि वो अपनी जिंदगी में कुछ भी नहीं कर पाई। पहले मेडिकल की तैयारी कर रही थी, उसमें बहुत प्रयास के बाद भी वह सफल नहीं हो सकी। इसके बाद सिविल सेवा के लिए भी उसने काफी कोशिश की।...

सक्सेस मंत्र : नाकामी से घबराकर ठहरना समझदारी नहीं
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्ली Sun, 19 Aug 2018 04:01 PM
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प्रिया को हमेशा लगता था कि वो अपनी जिंदगी में कुछ भी नहीं कर पाई। पहले मेडिकल की तैयारी कर रही थी, उसमें बहुत प्रयास के बाद भी वह सफल नहीं हो सकी। इसके बाद सिविल सेवा के लिए भी उसने काफी कोशिश की।

रात-दिन तैयारी करने के बावजूद वह एक्जाम पास नहीं कर सकी। हालांकि इस बीच उसने कुछ अन्य परीक्षाओं में जरूर सफलता हासिल की। वह अब सरकार अधिकारी थी, मगर दूसरे दर्जे की। उसके मन में टीस बैठ गई थी, कि इतनी मेहनत के बावजूद वह सफल नहीं हो सकी।

इस बात से उदास प्रिया, गुमसुम रहने लगी थी। उसके परिवार के सदस्य उसकी मायूसी से काफी परेशान थे। एक दिन उसके पास एक कोरियर आया। उस पैकेट में उसके पापा की मार्कशीट और एक खत था।

उसने मार्कशीट देखी, फिर खत पढ़ा। पापा ने लिखा था, बेटी प्रिया जिंदगी बहुत खूबसूरत है। इसे मुस्कराकर जीना चाहिए। जीवन में असफलताएं किसे नहीं मिलती। मगर उसके अफसोस में सारी जिंदगी खपा देना कोई समझदारी नहीं है।

उठो और आगे बढ़ो, क्या पता कोई नई मंजिल तुम्हारा रास्ता देख रही हो। पापा का खत पढ़ते हुए प्रिया की आंखों से झर-झर आंसू बह रहे थे। और पापा यह सब उसके कमरे से बाहर खड़े होकर देख रहे थे। मगर उन्हें यकीन हो गया था कि अब उसके अंदर की मायूसी खत्म हो जाएगी और उन्हें उनकी पुरानी वाली बेटी फिर मिल जाएगी।

अगले दिन सुबह पापा ने प्रिया से कहा कि जिंदगी को बोझ की तरह नहीं तोहफे की तरह जीना चाहिए। असफलताएं भी जिंदगी का हिस्सा हैं और इनसे सीखकर आगे बढ़ना चाहिए। इसकी वजह से ठहर जाना समझदारी नहीं।

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