वास्तु दोष से भी बचाती है दिवाली
दिवाली के पर्व दिन पर असत्य, अहंकार पर विजय प्राप्त कर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम अयोध्या नगरी आये थे और दीप जलाकार और मिठाईयां बांटकर उनका स्वागत किया गया।ये वो पैरोणिक कथा है जो हमारे इतिहास...
दिवाली के पर्व दिन पर असत्य, अहंकार पर विजय प्राप्त कर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम अयोध्या नगरी आये थे और दीप जलाकार और मिठाईयां बांटकर उनका स्वागत किया गया।ये वो पैरोणिक कथा है जो हमारे इतिहास के कण कण में व्याखित है।पर आज के हमारे समाज में हमारा युवा वर्ग धर्म और आस्था को भी तथ्य से देखना चाहता है।तो उस युवा वर्ग को हम बताना चाहते है कि हमारे हर उत्सव के पीछे कोई कोई तथ्य है।
दीपावली त्यौहार बरसात के महीने की समाप्ति और जाड़े की आरम्भ में मनाया जाता है।मतलब यह एक ऋतु के आगमन का समय होता है, और दूसरी ऋतु के जाने का| अगर हम गौर करें तो पायेंगे कि यह धान की फसल के काटने का भी समय होता है अर्थात हमारा अनाज खेतों से उठकर हमारे घर आ रहा होता है।
और जिसके लिए हमें साफ-सफाई आदि की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह अनाज ही हम पूरे साल उपयोग में लाते हैं| अत: ठंड से पहले बारिश और गर्मी गुजर चुकी होती हैं जिसमे गर्मी में धूल-हवा आदि के कारण पूरा घर गन्दा हो जाता है और रही सही कमी बारिश पूरी कर देती है जब घरों में सीलन, पानी का जमाव, दीवारों पर से रंग- रोगन उतर जाते हैं जिससे घर और वातावरण श्री विहीन लगने लगता है। वैसे भी वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि घर के रंग रोगन के क्षरण से वास्तु दोष लगता है। घर पर जमी हरी घास, काई आदि के कारण घर के सदस्यों का सम्मान घटता है| इस कारण यह दीपों का त्यौहार दीपावली हमें वास्तु दोषों से भी बचाता है जिससे घर में सुख और समृद्धि आती है|
(लेखक,जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर हैं)