Kali Puja 2023: कालरात्रि में आज की जाएगी मां काली की पूजा
Diwali Kali Puja 2023: दिवाली के दिन रात के समय काली पूजा की भी परंपरा है। आज कार्तिक मास की अमावस्या को कालरात्रि में मां काली की पूजा-अर्चना की जाएगी।

कार्तिक अमावस्या की रात की जाने वाली काली पूजा बंगाल में श्यामा पूजा या महानिषि पूजा के नाम से प्रसिद्ध है। यह पूजा 12 नवंबर को कालरात्रि में होगी। इस विशेष अवसर पर कोलकाता में दक्षिणेश्वर काली मंदिर तो काशी के देवनाथपुरा स्थित शवोशिवा काली मंदिर साधकों की आस्था का केंद्र बनता है।
मंदिर समिति के सचिव देवाशीष दास की देखरेख में मुख्य पूजा 12 नवंबर को सायं होगी। मंदिर में अन्नकूट की झांकी भी 14 नवंबर को सजाई जाएगी। शवोशिवा काली मंदिर की स्थापना 1789 में पश्चिम बंगाल के राजा चंद्रराय के पुरोहित चंद्रशेखर शर्मा ने कराई थी। आगे से देखने पर इस विग्रह में शव के ऊपर शिव और शिव के ऊपर काली जबकि पीछे से शिवलिंग के दर्शन होते हैं।
नव संघ में विशाल प्रतिमा की होगी स्थापना शहर के पांडेय हवेली, सोनारपुरा, भेलूपुरा क्षेत्र के बंगीय दुर्गापूजा पंडालों में भी मां काली की प्रतिमाएं स्थापित होंगी। बंगीय परंपरा के अनुसार जिस स्थान पर दुर्गा प्रतिमा स्थापित होती है, वहीं लक्ष्मी अथवा काली पूजा की जाती है। देवनाथपुरा स्थित नवसंघ में मां काली की विशाल प्रतिमा स्थापित की जाएगी। यहां दो दिवसीय कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। सोनारपुरा स्थित वाणी संघ, भेलूपुर स्थित जिम स्पोर्टिंग क्लब, शारदोत्सव संघ आदि स्थानों पर मां काली का पूजन किया जाएगा।
काली ही करती हैं नाश मान्यता है कि अमावस्या को मां काली की पूजा करने से डर खत्म होता है। रोगों से मुक्ति मिलती है। शत्रु नाश होता है। अमावस्या की रात बुरी शक्तियों को जागृत करने वाली भी है। उन शक्तियों का नाश सिर्फ काली ही कर सकती हैं।
