गणेश-लक्ष्मी पूजन की संपूर्ण व सरल विधि, इस बार दिवाली बेहद खास
Lakshmi Ganesh Puja: अमावस्या तिथि पर आज दिवाली का पवन पर्व पर बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। संध्या के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी और श्री गणेश जी की उपासना की जाती है।

Ganesh Lakshmi Puja Vidhi: कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि पर आज दिवाली का पवन पर्व पर बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। संध्या के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी और श्री गणेश जी की उपासना कर लोग सुख-समृद्धि की कामना करेंगे। वहीं, लक्ष्मी माता की पूजा करते समय यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि कोई गलती न हो पाए। दिवाली पर इस साल 5 राजयोग का महा संयोग बन रहा है, जिस कारण ये दिवाली खास रहने वाली है। इसलिए बिना किसी गलती के मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए आज शाम को इस विधि से भगवान श्री गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
दिवाली पूजा-विधि
दिवाली पर प्रदोष काल या संध्या पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। ज्यादातर लोग इसी समय दिवाली पर पूजा करते हैं। इसलिए संध्या समय स्नान आदि से निर्वित्त होकर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। अब एक लकड़ी की चौकी स्थापित करें और उस पर लाल या पीले रंग का नया वस्त्र बिछाएं। अब मुट्ठी भर चावल या अनाज के ऊपर कलश की स्थापना करें। कलश में पवित्र जल, फूल, एक सुपारी, अक्षत, इलायची और चांदी का सिक्का डालें। अब कलेश के मुख को पांच आम के पत्तों से ढक दें। इसके बाद चौकी पर माता लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्ति स्थापित करें। प्रभु का जलाभिषेक करें फिर गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद दोबारा पवित्र जल से जलाभिषेक करें। साफ कपड़े से मूर्ति को पोछकर चौकी पर स्थापित कर दें। अब गणेश जी को पीला चंदन और लक्ष्मी माता को लाल चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं साथ ही कलश पर भी तिलक लगाएं। अब प्रभु को फल, पान के पत्ते, फूल, मिठाई, इलायची, अक्षत, सुपारी अर्पित करें। गणेश जी को पीले फूलों की माला और लक्ष्मी माता को कमल गट्टे की माला पहनाएं। अब धूपबत्ती और घी का दीपक प्रज्वलित करें। गणेश जी को लड्डुओं का और मां लक्ष्मी को खीर या सफेद मिठाई का भोग लगाएं। पूरी श्रद्धा के साथ पहले भगवान श्री गणेश की आरती करें फिर उसके बाद माता लक्ष्मी और कुबेर जी की आरती गाएं। अंत में क्षमा प्रार्थना जरूर करें।
दिवाली पूजा शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 05 बजकर 40 मिनट-शाम 07 बजकर 35 मिनट तक।
अवधि: 01 घंटा 53 मिनट
प्रदोष काल- 05:29 से 08:06 तक
वृषभ काल- 05:40 से 07:35 तक
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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