कार्तिक मास की अमावस्या यानी दीपावली पर महालक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। आज नरक-चतुर्दशी के साथ आज ही बड़ी दिवाली यानी श्री महालक्ष्मी पूजन कुबेर-पूजा शाम को होगी। अमावस्या यानी पितरों को याद करने का दिन। दिवाली के दिन शाम को जहां लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है, वहीं सुबह पितरों का भी पूजन किया जाता है। इस दिन लोग पितरों को याद कर उनके लिए वस्त्र आदि निकालकर दान किए जाते हैं। पितरों का पूजन अपने रीति रिवाजों के अनुसार किया जाता है, कुछ लोग दिवाली के दिन सबसे पहले पितरों को भोग लगाते हैं।
इस बार अमावस्या तिथि उदया तिथि में है, इसलिए 14 नवंबर और 15 नवंबर दोनों दिन अमावस्या का दान पुण्य किया जा सकता है। इस दिन पितरों से जीवन में खुशहाली और उनके आशीर्वाद की कामना की जाती है। पितरों का पूजन दक्षिण दिशा में करना चाहिए। इस दिन पितरों की पूजा करने से पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है। दऱअसल कार्तिक मास की अमावस्या और पितरों को पूजन करने का बहुत ही अधिक महत्व है।
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अमावस्या तिथि: 14 नवंबर को चतुर्दशी तिथि 02:18 बजे दोपहर से
15 तारीख को अमावस्या सुबह 10 बजे तक