गंगा दशहरा 2018: गंगा स्नान से मिलेगा दस अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि 22 जून यानि आज गंगा अवतरण दिवस (गंगा दशहरा) श्रद्धाभाव से मनाया जाएगा। आज गंगा स्नान से दस अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य मिलेगा। साथ ही गंगा दशहरा पर दान-पुण्य का विशेष...
दान-पुण्य का होता है विशेष महत्व
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि 22 जून यानि आज गंगा अवतरण दिवस (गंगा दशहरा) श्रद्धाभाव से मनाया जाएगा। आज गंगा स्नान से दस अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य मिलेगा। साथ ही गंगा दशहरा पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है। ज्येष्ठ के दशहरे पर गंगा स्नान के साथ ही दान करने का विशेष महत्व है। इस तिथि पर भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की थी। मान्यातानुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को ही मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था।
इसी कारण इसे गंगा दशहरा के रूप में भी जाना जाता है। मां गंगा इसी तिथि पर धरती पर संपन्नता और शुद्धता लेकर आई थीं। गंगा दशहरा पर गंगा स्नान के साथ दान का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि इस तिथि में गंगा स्नान के बाद दान करने से सात जन्मों के पाप व कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही दस अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। गंगा स्नान को घाटों पर जाने के लिए श्रद्धालुओं का गुरुवार की शाम से ही जाना शुरू हो गया है।
दस प्रकार के पापों से मुक्ति
दस प्रकार के पापों से मुक्ति
विश्व गुरू धर्म संसद के महासचिव जगद्गुरू वेदाचार्य गोपश्वर महाराज के अनुसार गंगा दशहरा पर गंगा में स्नान, ध्यान, पूजन आदि से दस तरह के पापों का नाश होता है। इसमें तीन तरह के पाप शारीरिक, चार तरह के वाचिक और तीन तरह के मानसिक पाप हैं। शारीरिक पाप में हिंसा, जबरन किसी का सामान ले लेना (लूट), पराई स्त्री के साथ संबंध शामिल हैं। वाचिक पापों में कठोर वाणी, झूठ बोलना, चुगलखोरी, अनावश्यक प्रलाप शामिल हैं। मानसिक पापों में दूसरे के प्रति अनिष्ट सोचना, लोभ और अपने शरीर को ही सबकुछ मानना शामिल हैं। बताया कि इस दिन 10 सामग्री से स्नान किया जाता है। प्रत्येक स्नान एक महापाप का नाश करता है। जिनमें पंचगव्य, भस्मादि, गंधा, रज आदि स्नान का विशेष महत्व है।