Dhanteras 2020: धनतेरस पर धनवंतरी और यमदेवता की भी पूजा का है विधान, दूर होता है अकाल मृत्यु का भय
दिवाली से पहले कार्तिक मास की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है। इसे धन्वंतरि जयंती भी कहलाता है। इस दिन धातु, सोने आदि की वस्तु खरीदकर लाते हैं। इस दिन आयुर्वेद के देलता कहे जाने वाले धन्वतरी जी की...
दिवाली से पहले कार्तिक मास की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है। इसे धन्वंतरि जयंती भी कहलाता है। इस दिन धातु, सोने आदि की वस्तु खरीदकर लाते हैं। इस दिन आयुर्वेद के देलता कहे जाने वाले धन्वतरी जी की भी पूजा की जाती है। वही शाम को यमदीप भी जलाया जाता है।
यह साल का पहला ऐसा दिन होता है जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि धनतेरस पर धन्वंतरी जी की पूजा से आरोग्यता और यमराज की पूजा से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।
शाम को चार मुखी दीपक घर के दरवाजे पर जलाया जाता है। जल, रोली, फूल, चावल, गुड़, नैवेद्य आदि सहित दीपक जलाकर यम का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि यमराज और देवी यमुना दोनों ही सूर्य की संतानें होने से आपस में भाई-बहन हैं , इसलिए इस दिन यमुना में स्नान भी किया जाता है। इसके अलावा धन के देवता कुबैर जी की भी इस दिन पूजा की जाती है। खासकर व्यापरी वर्ग अपने संस्थानों में इस दिन खास पूजा करते हैं। कहते हैं कि इस दिन पूजा अर्चना से चल अचल संपत्ति में कई गुना वृद्धि होती है।
13 नवंबर को खरीदारी का शुभ मुहूर्त-
सुबह 5:59 से 10:06 बजे तक।
सुबह 11:08 से दोपहर 12:51 बजे तक।
दोपहर 3:38 मिनट से शाम 5:00 बजे तक।