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देवोत्थान एकादशी 23 नवंबर की, तुलसी विवाह, पांच महीने में इस बार 53 विवाह मुहूर्त

devuthani ekadashi श्रीहरि योग निद्रा से जागेंगे। उसके साथ ही सनातनी परिवारों में विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश आदि मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। नवंबर से मार्च, पांच महीने में इस बार 53 विवाह मुहूर्त मिले

देवोत्थान एकादशी 23 नवंबर की, तुलसी विवाह, पांच महीने में इस बार 53 विवाह मुहूर्त
Anuradha Pandeyप्रमुख संवाददाता,वाराणसीWed, 22 Nov 2023 05:51 AM
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दशहरा, दीपावली और डाला छठ के बाद विशिष्ट त्योहारों की शृंखला का अंतिम चरण सोमवार को गोपाष्टमी से शुरू हो चुका है। यह कार्तिक पूर्णिमा, 27 नवंबर को पूरा होगा। इस चरण में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पड़ाव हरि प्रबोधिनी एकादशी है। इस वर्ष हरि प्रबोधिनी एकादशी 23 नवंबर को है। इसे देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं।

देवोत्थान एकादशी को श्रीहरि योग निद्रा से जागेंगे। उसके साथ ही सनातनी परिवारों में विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश आदि मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। नवंबर से मार्च, पांच महीने में इस बार 53 विवाह मुहूर्त मिलेंगे। हरि प्रबोधिनी एकादशी पर महादेव की काशी विष्णुमय हो जाती है। शैव-वैष्णव अपनी-अपनी परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार तुलसी विवाह का आयोजन करते हैं। पंचगंगा घाट स्थित श्रीमठ में विशेष आयोजन होता है। हरि प्रबोधिनी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक तुलसीजी का विशेष विधान के साथ पूजन अर्चन किया जाता है। गुजराती समाज के लोगों में विशेष रूप से तुलसी विवाह होता है।

एकादशी पर न खाएं अन्न
मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा के लिए प्रस्थान करते हैं। चार माह बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को भगवान का जागरण होता है। ज्योतिषचार्य पं. वेदमूर्ति शास्त्रत्त्ी के अनुसार देवोत्थान एकादशी को व्रत रखते हुए भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन सभी के लिए अन्न ग्रहण का निषेध किया गया है।

जहां तुलसी, वहां ब्रह्मा-विष्णु-महेश

तुलसी के पौधे का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व है। जिस घर में इसका वास होता है, वहां आध्यात्मिक उन्नति के साथ सुख-शांति एवं आर्थिक समृद्धि स्वत आ जाती है। पुराण कथा के अनुसार देव और दानवों के समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका, उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मदेव ने उसे भगवान विष्णु को सौंपा। लंका में विभीषण के घर तुलसी का पौधा देखकर हनुमान अति हर्षित हुए थे। तुलसी आत्मोन्नति का पथ प्रशस्त करती है। पद्म पुराण कहता है कि जहां तुलसी वहां ब्रह्मा-विष्णु, महेश भी निवास करते हैं। जिस भोग में तुलसीदल नहीं होता, उसे भगवान स्वीकार नहीं करते।

पांच माह में विवाह मुहूर्त
हरि प्रबोधिनी एकादशी 23 को, रहेगी तुलसी विवाह की धूम,52 मुहूर्त हैं नवंबर से मार्च के बीच विवाह के

2023 में

नवंबर 24, 27, 28 एवं 29

दिसंबर 03, 04, 05, 06, 07, 08,09, 13 एवं 14

2024 में

जनवरी 16,17,18, 20,21,22,27,28,29,30 एवं 31

फरवरी 01, 02, 03, 04, 05, 06, 07, 12, 13, 14, 17, 18, 19, 23, 24, 25, 26, 27 एवं 29

मार्च 01, 02, 03, 04, 05, 06, 07, 08, 11 एवं 12

 

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